राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु के मुख्यातिथ्य में नई दिल्ली में संपन्न हुआ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का 62वां दीक्षांत समारोह।
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राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक बहुत बड़ी जनसंख्या कृषि से जीविका अर्जन करती है। कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी महत्वपूर्ण योगदान है। एक कृषि प्रधान परिवार से आने के कारण मैं जानती हूं कि किसान खाद्यान्न उपलब्ध कराकर कितनी संतुष्टि का अनुभव करता है। देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होने में किसानों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने व सुचारू सिंचाई प्रणाली प्रदान करने के लिए काम कर रही है। सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए सभी फसलों की एमएसपी में महत्वपूर्ण वृद्धि की है।
उन्होंने कहा कि हम सब किसानों व कृषि संबंधी समस्याओं से अवगत हैं। किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिले, वह अभावग्रस्त जीवन से समृद्धि की ओर बढ़े, इस दिशा में हमें और भी अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र बनकर उभरेगा, तब किसान इस यात्रा का अग्रदूत होगा। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि किसान के हल की नोक से खींची गई रेखा सभ्यता के पूर्व के समाज और विकसित समाज के बीच की रेखा है। किसान न केवल विश्व के अन्नदाता है, बल्कि सही अर्थों में जीवनदाता है। समारोह में डेयर के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद थे। आईएआरआई के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने स्वागत भाषण दिया। डीन डा. अनुपमा सिंह ने अकादमिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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