केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास आठवले ने राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति का कार्यान्वयन की जानकारी दी।
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मुंबई-राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति (एनओएस) योजना अनुसूचित जातियों, गैर-अधिसूचित घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगरों की श्रेणी से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेश में अध्ययन करके मास्टर डिग्री, पीएचडी पाठ्यक्रम जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।एनओएस योजना के तहत प्रत्येक चयन वर्ष में धन की उपलब्धता के अधीन 125 नए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। छात्रवृत्ति प्रदान किए जाने वाले 125 उम्मीदवारों में से 115 अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए, 06 गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए और 04 भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगरों के लिए हैं। प्रत्येक वर्ष की 30 प्रतिशत छात्रवृत्ति महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित की जाती है।एनओएस योजना के तहत अर्हता प्राप्त करने के लिए, उम्मीदवारों को योग्यता परीक्षा में कम से कम 60 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड प्राप्त करना चाहिए, उम्मीदवारों की सभी स्रोतों से कुल पारिवारिक आय पिछले वित्तीय वर्ष में 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए, उम्मीदवार की आयु चयन वर्ष की पहली अप्रैल को 35 वर्ष से कम होनी चाहिए और नवीनतम क्यूएस रैंकिंग के अनुसार शीर्ष 500 क्यूएस रैंक वाले विदेशी विश्वविद्यालय से प्रवेश का बिना शर्त प्रस्ताव होना चाहिए।पिछले 5 चयन वर्षों के दौरान 575 छात्रों का चयन किया गया है, जिनमें से 412 छात्र एनओएस योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त करके विदेश में अध्ययन के लिए आगे बढ़े हैं। चयन वर्ष 2021-22 से स्लॉट की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है और वर्तमान में स्लॉट को और बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
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