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शहरी इलाके में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने 100 नगर वन का 100 दिन का लक्ष्य हासिल किया।

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नई दिल्ली-सरकार के पहले 100 दिनों के दौरान नगर वन योजना के तहत प्रस्तावित गतिविधियों में 100 नगर वनों को मंजूरी देना था। केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के सामूहिक प्रयास से, यह लक्ष्य हासिल कर लिया गया है और 100 दिनों के भीतर 111 नगर वनों को मंजूरी दी गई है। ये 111 नगर वन देश के 6 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में फैले हुए हैं।पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार और सामाजिक सामंजस्य बढ़ाने के लिए शहरी हरियाली को बढ़ाने के प्रयास में 2020 में संशोधित नगर वन योजना (एनवीवाई) शुरू की थी। ये नगर वन न केवल महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संसाधन होंगे, बल्कि मनोरंजन, पर्यावरण शिक्षा, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन के लिए एक साधन भी होंगे, जिससे शहर जलवायु परिवर्तन के प्रति सशक्त बनेंगे।इस योजना में इन शहरी वनों के निर्माण और रखरखाव के लिए प्रति हेक्टेयर 4 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे इन हरित स्थानों के निर्माण और प्रबंधन में नागरिकों, छात्रों और अन्य हितधारकों की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। नगर वन क्षेत्र न्यूनतम 10 हेक्टेयर से लेकर 50 हेक्टेयर तक है। इस योजना में नगर निगमों, नगर पालिकाओं और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) वाले सभी शहर शामिल हैं।

इसमें जैव विविधता पर जोर दिया जाता है, वन्यजीवों को आकर्षित करने और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा देने के लिए फलदार, औषधीय और देशी प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं। वृक्षारोपण, शैक्षिक कार्यक्रम और स्थायी प्रबंधन के माध्यम से सार्वजनिक जुड़ाव के अवसर के साथ इसमें सामुदायिक भागीदारी केंद्रीय है। प्रत्येक नगर वन में कम से कम दो-तिहाई क्षेत्र वृक्षों से आच्छादित होना चाहिए और इसमें जैव विविधता पार्क, स्मृति वैन, तितली संरक्षण केंद्र और हर्बल गार्डन जैसे घटक शामिल होंगे और अब एक पेड़ माँ के नाम के तहत मातृ वन बनाया गया है।वर्तमान में, नगर वन योजना का लक्ष्य राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (राष्ट्रीय कैम्पा) के राष्ट्रीय कोष की वित्तीय सहायता से वर्ष 2027 तक 1000 नगर वन विकसित करना है। इस पहल से शहरों के भीतर और आसपास की वन भूमि को क्षरण और अतिक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी और वायु प्रदूषण, शहरी ताप द्वीप, जैव विविधता का नुकसान, आवास का क्षरण आदि जैसी पर्यावरणीय समस्याओं का भी समाधान होगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ का शुभारंभ किया। धरती माता द्वारा प्रकृति के पोषण और हमारी माताओं द्वारा मानव जीवन के बीच समानता दर्शाते हुए, प्रधानमंत्री ने दुनिया भर के लोगों से अपनी मां के प्रति प्रेम, आदर और सम्मान के प्रतीक के रूप में एक पेड़ लगाने और उन पेड़ों तथा धरती मां की रक्षा करने का संकल्प लेने का आग्रह किया।यह पहल न केवल हमारी माताओं को श्रद्धांजलि है, बल्कि लोगों और समुदायों के बीच वृक्षारोपण की संस्कृति भी पैदा करती है। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और व्यक्तिगत कृतज्ञता के दोहरे उद्देश्य पर जोर देता है, जो हमारे जीवन में पेड़ों और माताओं दोनों की पोषण भूमिका का प्रतीक है। इस अभियान का उद्देश्य भूमि क्षरण को रोकने, सूखा प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने और मरुस्थलीकरण को रोकने में सभी को शामिल करना है। इस सामूहिक वृक्षारोपण विशेष अभियान के तहत इस वर्ष सितंबर के अंत तक 80 करोड़ और अगले वर्ष मार्च के अंत तक 140 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। किसी भी व्यक्ति, संस्था या संगठन (निजी या सरकारी) द्वारा किए गए वृक्षारोपण का विवरण अपलोड करने और वृक्षारोपण प्रयासों पर नज़र रखने के लिए मेरीलाइफ पोर्टल पर प्रावधान किया गया है। इस अभियान के तहत अब तक 75 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और विस्तृत जानकारी मेरीलाइफ पोर्टल पर अपलोड की गई है।विभिन्न शहरों में नव स्वीकृत नगर वनों में मातृ वन बनाने के लिए 17 सितंबर, 2024 को एक पेड़ मां के नाम के तहत वृक्षारोपण अभियान चलाया गया। नागरिक संचालित विशेष अभियान “एक पेड़ मां के नाम” में नागरिकों, सरकारी एजेंसियों और निजी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से, शहरों को पर्यावरण के अनुकूल जगहों में बदलने का लक्ष्य हासिल किया जाना है।

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