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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पांचवां राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान किया।

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नई दिल्ली-राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि पानी हर व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकता और मौलिक मानव अधिकार है और सबों को स्वच्छ जल सुनिश्चित किए बिना स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जल की उपलब्धता और इसकी स्वच्छता में कमी से सुविधाहीन लोगों के स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका पर अधिक असर पड़ता है।राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में जल संसाधन की उपलब्धता के सर्वविदित तथ्य के बाद भी हम जल संरक्षण और इसके प्रबंधन पर ध्यान नहीं देते। मानवीय उपेक्षा से ये संसाधन प्रदूषित और समाप्त हो रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केन्द्र सरकार ने जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण हमारी परंपरा रही है। हमारे पूर्वज गांवों के पास ही तालाब बनवाते थे। वे मंदिरों या उनके पास जलाशय बनवाते थे ताकि पानी की कमी होने पर संग्रहित जल का उपयोग किया जा सके। दुर्भाग्यवश हम अपने पूर्वजों की विवेकपूर्ण समझ को भुला रहे हैं।कुछ लोगों ने निजी स्वार्थवश जलाशयों का अतिक्रमण कर लिया है। इससे सूखे की स्थिति में पानी की उपलब्धता प्रभावित होती है और अत्यधिक बारिश होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।राष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सबों का सामूहिक दायित्व है

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Presidentpic122102024VQNU.JPG और हमारी सक्रिय भागीदारी के बिना देश को जल-सुरक्षा संपन्न बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपने छोटे प्रयासों से भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उदाहरण स्वरूप हम अपने घरों के नल खुले न छोडें, ध्यान रखें कि ओवरहेड वॉटर टैंक से पानी भर कर बेकार न जाए, घरों में जल संचयन की व्यवस्था हो और पारंपरिक जलाशयों का सामूहिक रूप से जीर्णोद्धार किया जाए।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Presidentpic2221020247BKH.JPGराष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सबों का सामूहिक दायित्व है और हमारी सक्रिय भागीदारी के बिना देश को जल-सुरक्षा संपन्न बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपने छोटे प्रयासों से भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उदाहरण स्वरूप हम अपने घरों के नल खुले न छोडें, ध्यान रखें कि ओवरहेड वॉटर टैंक से पानी भर कर बेकार न जाए, घरों में जल संचयन की व्यवस्था हो और पारंपरिक जलाशयों का सामूहिक रूप से जीर्णोद्धार किया जाए।राष्ट्रपति ने कहा कि जल संसाधनों के प्रति प्रासंगिक दृष्टिकोण और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में राष्ट्रीय जल पुरस्कार दिया जाना सराहनीय कदम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जल संरक्षण के लिए सम्मानित किए जाने वाले लोगों और इस आयोजन से “सर्वश्रेष्ठ प्रचलन” के उपाय लोगों तक पहुंचेंगे।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Presidentpic322102024LOS7.JPGराष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य लोगों में पानी के महत्व के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और उन्हें स्वच्छ जल के उपयोग के सर्वोत्तम प्रचलन अपनाने के लिए प्रेरित करना है। पांचवां राष्ट्रीय जल पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ राज्य, सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, सर्वश्रेष्ठ स्कूल या कॉलेज, सर्वश्रेष्ठ उद्योग, सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्ता संघ, सर्वश्रेष्ठ संस्थान (स्कूल या कॉलेज के अलावा) और सर्वश्रेष्ठ नागरिक समाज सहित नौ श्रेणियों में प्रदान किए गए।

 

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