कोलकाता में तीसरा सीआईएल सीएसआर कॉन्क्लेव शुरू।
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स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आजीविका पर सीआईएल का विशेष ध्यान इस तथ्य से नजर आता है कि दशक के कुल सीएसआर खर्च 5,579 करोड़ रुपये में से इन तीन आवश्यक चीजों का हिस्सा 71% यानी 3,978 करोड़ रुपये था। स्वास्थ्य देखरेख 2,770 करोड़ रुपये के साथ सबसे ऊपर रहा, जो कुल परिव्यय का लगभग 50% है। शिक्षा और आजीविका में 1,208 करोड़ रुपये, कुल खर्च का पांचवां हिस्सा से अधिक शामिल थे। शेष राशि ग्रामीण विकास, और अन्य विषयों जैसे पर्यावरण स्थिरता, खेलों को बढ़ावा देने, आपदा प्रबंधन आदि पर खर्च की गई।
सीएसआर निधि का 95 प्रतिशत ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीआईएल के परिचालन वाले आठ राज्यों में उपयोग किया गया था।धनराशि आवंटन के संबंध में, ‘कंपनी अधिनियम 2013’ के अनुसार, सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों का सीएसआर बजट तीन तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्षों के औसत शुद्ध लाभ (कर से पहले लाभ, लाभांश घटाकर) का 2% या पिछले वित्तीय वर्ष में उत्पादित कोयले के 2 रुपये प्रति टन, जो भी अधिक हो, पर निर्धारित किया गया है।नीति के अनुसार, सीआईएल की सहायक कंपनियां अपनी सीएसआर निधि का 80% अपने कमांड वाले क्षेत्रों के 25 किलोमीटर के दायरे में और शेष 20% उस राज्य में खर्च कर सकती हैं जहां वे काम करती हैं। शीर्ष निकाय सीआईएल को ऐसी भौगोलिक सीमाओं में रोका नहीं गया है, जिससे इसे अखिल भारतीय स्तर पर सीएसआर परियोजनाओं को शुरू करने की अधिक छूट मिलती है।
कार्यक्रम में बोलते हुए, सीआईएल के निदेशक (कार्मिक) श्री विनय रंजन ने कहा कि सीआईएल सीएसआर पर सूक्ष्मतम फोकस के लिए 2014 में सामुदायिक विकास कैडर शुरू करने वाला भारत का पहला सीपीएसई है।
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