बिहार दिवस पर विशेष आज़।

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बिहार दिवस: एक प्राचीन भूमि की विरासत का जश्न।
पटना-बिहार दिवस, जो हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है, बिहार के स्थापना दिवस का प्रतीक है, जब 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर राज्य बनाया गया था। हालाँकि, बिहार का इतिहास हज़ारों साल पुराना है, जो इसे भारत के सबसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक बनाता है।
प्राचीन बिहार: ज्ञान की भूमि
बिहार प्राचीन काल से ही सभ्यता का उद्गम स्थल रहा है। यह महान मौर्य और गुप्त साम्राज्यों का घर था, जिसने भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार दिया। इन साम्राज्यों की राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) प्रशासन और शिक्षा का केंद्र था।राज्य ज्ञान की भूमि होने के लिए भी प्रसिद्ध है। गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया था, और जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर ने यहीं अपनी शिक्षाओं का प्रचार किया था। दुनिया के दो सबसे पहले विश्वविद्यालय नालंदा और विक्रमशिला बिहार में स्थापित किए गए थे, जो दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित करते थे।
मध्यकालीन और औपनिवेशिक बिहार
मध्यकालीन काल के दौरान, बिहार ने मुगल साम्राज्य का उदय देखा, जिसमें इस क्षेत्र के एक प्रमुख शासक शेर शाह सूरी ने महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार पेश किए। बाद में, ब्रिटिश शासन के दौरान, बिहार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 का चंपारण सत्याग्रह स्वतंत्रता आंदोलन में एक निर्णायक क्षण था।
आधुनिक बिहार: प्रगति और परिवर्तन
स्वतंत्रता के बाद, बिहार ने भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखा है। राज्य ने महान नेताओं, विद्वानों और कलाकारों को जन्म दिया है। पटना, गया, राजगीर, वैशाली और मधुबनी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल बने हुए हैं, जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
बिहार पर्यटन
बिहार में पर्यटन को विकसित करने और लाखों लोगों को रोजगार देने की बहुत संभावना है। बिहार शिक्षा की भूमि है क्योंकि यहाँ विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय है। भगवान बुद्ध को अपना ज्ञान बोधगया से मिला था। भगवान महावीर जैन ने अपना पूरा जीवन बिहार को समर्पित कर दिया है। बिहार को पर्यटन के लिए विकसित करना केंद्र सरकार और बिहार सरकार का सामूहिक प्रयास होगा। बिहार में हर तरह की सुविधा है, जैसे कि बुनियादी ढांचा और कानून व्यवस्था, लेकिन इसके लिए सेवा करने की नीयत और क्षमता की जरूरत है।
बिहार दिवस मनाना
बिहार दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनियां और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो राज्य की समृद्ध विरासत और प्रगति का जश्न मनाते हैं। यह दिन बिहार की लचीलापन, परंपराओं और देश और दुनिया में योगदान का सम्मान करने का अवसर है।जैसे-जैसे बिहार विकास की ओर बढ़ रहा है, यह अपने गौरवशाली अतीत से गहराई से जुड़ा हुआ है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर रहा है। बिहार दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह बिहार और उसके लोगों की स्थायी भावना को श्रद्धांजलि है।(मनीष कुमार सिन्हा)

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