केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में इंडियन नॉलेज सिस्टम पर फोकस किया गया है और इसका बहुत बड़ा वर्टिकल संस्कृत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया है। उन्होंने कहा कि सहस्त्र चूड़ामणि योजना के माध्यम से सेवानिवृत्त हो चुके प्रख्यात संस्कृत विद्वानों को अध्यापन के लिए नियुक्त करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सबसे बड़ा काम हमारी प्राकृत और संस्कृत में बिखरी हुई पांडुलिपियों को एकत्रित करने के लिए लगभग 500 करोड़ के बजट से एक अभियान चलाने का किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए 500 करोड़ रूपए के आधार कोष कोष के साथ ज्ञानभारतम मिशन की शुरूआत की है और हर बजट में इसके लिए एक निश्चित राशि आवंटित की जाएगी। उन्होंने कहा कि अब तक 52 लाख से अधिक पांडुलिपियों का डॉक्यूमेंटेशन, साढ़े तीन लाख पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया गया है औऱ namami.gov.in पर 1,37,000 पांडुलिपियां उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि दुर्लभ पांडुलिपियों का अनुवाद और उनके संरक्षण के लिए हर विषय और भाषा के विद्वानों की टीम गठित की गई है।
श्री अमित शाह ने कहा कि संस्कृत भारती 1981 से जो काम करता आ रहा है, उसकी मिसाल ढूंढना कठिन है। उन्होंने कहा कि संस्कृत के उत्थान, प्रचार-प्रसार और इसमें उपलब्ध ज्ञान को संकलित कर सरल रूप में लोगों के सामने रखने में ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निश्चित रूप से मिल सकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती ने 1981 से लेकर अब तक 1 करोड़ लोगों को संस्कृत बोलने से परिचित कराने का काम किया है, एक लाख से अधिक संस्कृत सिखाने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया, 6 हज़ार परिवार ऐसे बने हैं जो आपस में सिर्फ संस्कृत में बात करते हैं श्री शाह ने कहा कि संस्कृत भारती के 26 देशों में 4500 केन्द्र बने हैं और 2011 में विश्व के सबसे पहले विश्व संस्कृत पुस्तक मेले का आयोजन भी संस्कृत भारती ने किया था। उन्होंने कहा कि उज्जैन में 2013 में साहित्योत्सव को भी संस्कृत भारती ने ही आयोजित किया था। गृह मंत्री ने कहा कि संस्कृत भारती के इन प्रयासों से न सिर्फ देश की जनता के मन में संस्कृत के प्रति रूचि बढ़ी है बल्कि धीरे धीरे संस्कृत की स्वीकृति भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन कोई अपनी मां से कटकर नहीं रह सकता और देश की लगभग सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत जितनी समृद्ध औऱ सशक्त होगी, उतनी ही देश की हर भाषा औऱ बोली को ताकत मिलेगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों का समापन हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके तहत 23 अप्रैल से लेकर 10 दिन तक 17 हज़ार से ज़्यादा लोगों का संस्कृत से परिचय हुआ और उन्होंने संस्कृत बोलने का अभ्यास भी किया जिससे लोगों की रुचि संस्कृत में बढ़ेगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि संस्कृत भारत की आस्था, परंपरा, सत्य, नित्य और सनातन है। उन्होंने कहा कि ज्ञान और ज्ञान की ज्योति संस्कृत में ही समाहित है। उन्होंने कहा कि भारत की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत ही है और इसीलिए संस्कृत को आगे बढ़ाने का काम न सिर्फ संस्कृत के बल्कि भारत के उत्थान के साथ भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि अनेक विषयों में हज़ारों सालों से जो चिंतन मंथन हुआ और अमृत निकला है, उसे संस्कृत में ही संग्रहित कर रखा गया है। श्री शाह ने कहा कि हर क्षेत्र में संस्कृत में ज्ञान का भंडार उपलब्ध है जिसका लाभ पूरे विश्व को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत में रचे गए वेद, उपनिषदों और अनेक प्रकार की पांडुलिपियों में रचा गया ज्ञान पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध होना चाहिए और संस्कृत भारती द्वारा किया जा रहे प्रयास इस दिशा में पहला कदम है।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो न सिर्फ सबसे अधिक वैज्ञानिक है बल्कि इसके व्याकरण का भी कोई जोड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया में छंद और मात्रा सबसे पहले अगर किसी भाषा में संशोधित किए गए तो वो संस्कृत में ही किए गए और इसी कारण आज भी संस्कृत ज़िंदा है।