राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रसार एवं जागरूकता पर राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया।

😊 Please Share This News 😊
|

नई दिल्ली-राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आज यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 और बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) सीएएल (पीएंडआर) अधिनियम, 1986 के प्रसार एवं जागरूकता के संबंध में ऑनलाइन राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया। उक्त कार्यक्रम में विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य मंत्रालयों, राज्य पुलिस विभागों, एससीपीसीआर, गैर सरकारी संगठनों के लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।एनसीपीसीआर की अध्यक्ष सुश्री तृप्ति गुरहा ने मुख्य भाषण देते हुए इस बात पर जोर दिया कि पोक्सो अधिनियम, 2012 और सीएएल (पी एंड आर) अधिनियम,1986 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए व्यवस्थित जागरूकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने इन क्षेत्रों में आयोग की विभिन्न पहलों को भी रेखांकित किया। उन्होंने सही मायने में बाल अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक हितधारक से सहकार्य और सहयोग की मांग की।एनसीपीसीआर की सदस्य (एलआरसी) सुश्री प्रीति भारद्वाज दलाल ने पोक्सो अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाने से संबंधित अपने अनुभव का उल्लेख करते हुए बताया कि पोक्सो अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित चुनौतियों का समाधान सक्रिय दृष्टिकोण, अधिकारियों के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और अधिनियम के कारगर प्रचार-प्रसार के माध्यम से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आकांक्षी जिलों में एनसीपीसीआर द्वारा आयोजित बेंच और शिविरों ने हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुँच कायम करने की दिशा में अच्छे परिणाम दिए हैं।एनसीपीसीआर की सदस्य (बाल स्वास्थ्य, देखभाल, कल्याण) डॉ. दिव्या गुप्ता ने सीएएल (पी एंड आर) अधिनियम के बारे में कहा कि इस अधिनियम के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में जागरूकता और सूचना का प्रसार भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अधिनियमों को लागू करते समय जेंडर के प्रति तटस्थ दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।एनसीपीसीआर के सदस्य सचिव डॉ. संजीव शर्मा ने बाल अधिकारों के संरक्षण की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में सार्थक प्रगति होने के बावजूद अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने सभी हितधारकों की जागरूकता और शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।इस परामर्श के दौरान पोक्सो अधिनियम, 2012 और सीएएल (पी एंड आर) अधिनियम, 1986 का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए समन्वित अंतर–मंत्रालयी कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना पर जोर दिया गया। इसके अलावा, पोक्सो मामलों में देश भर में मेडिको–लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) के प्रारूप को मानकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया ताकि मेडिको–लीगल दस्तावेज़ीकरण और साक्ष्य प्रक्रियाओं में एकरूपता और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
एनसीपीसीआर के बाल सुरक्षा मैनुअल और पोक्सो अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी जोर दिया गया, साथ ही शिक्षकों के लिए नियमित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।इसके अलावा,
बाल पीड़ितों के लिए कानूनी सहायता सुलभ कराने और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार समय पर मुआवज़ा वितरित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। परामर्श के दौरान बाल श्रम मामलों के संदर्भ में, समय पर मुआवज़ा वितरण, अंतर–एजेंसी संस्थागत समन्वय, निगरानी और मुक्त कराए गए बच्चों के व्यापक पुनर्वास के लिए तंत्र को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।बैठक का समापन एनसीपीसीआर के रजिस्ट्रार श्री राजेश कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।



व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |
More Stories
