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सारनाथ की यात्रा के दौरान भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि।

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नई दिल्ली-भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए भिक्षु, भिक्षुणियां, श्रद्धालुगण और राजनयिक आज राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में एकत्रित हुए। बुद्ध के पवित्र अवशेषों को कल सारनाथ वापस ले जाकर एक बार फिर मूलगंध कुटी विहार मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाएगा।वियतनाम के 9 शहरों में 30 दिवसीय प्रदर्शनी कार्यक्रम के पश्‍चात पवित्र अवशेषों के स्वदेश वापसी पर संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय संग्रहालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वियतनाम के निवासियों ने पूर्ण भक्ति, धैर्य और आत्मानुशासन का परिचय देते हुए अवशेष वेदी पर दर्शन के लिए अपनी बारी आने तक पूर्ण तन्मयता के साथ घंटों प्रतीक्षा की।भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन की मात्र एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं ने चौबीसों घंटे लंबी-लंबी कतारों में प्रतीक्षा की। इस दौरान बच्चें अपने बुजुर्ग माता-पिता को कंधों पर उठाकर ले जा रहे थे तो दिव्यांगजनों को परिवार के सदस्यों का सहारा मिल रहा था। वक्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रबुद्ध की बस एक झलक पाने के लिए नन्हे-मुन्ने बच्चे घंटों अपने माता-पिता के पास शांति से खड़े रहे।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002YI0V.jpgवियतनाम में अवशेष के संरक्षक परम आदरणीय सीवाली भंते ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “हम भावुक हो गए थे हालाकि उनके होठों पर मुस्कान थी लेकिन आंखों में अश्रुधारा थी, हम पूरे समय प्रार्थना कर रहे थे, यह एक भावनात्मक रूप से परिपूर्ण वातावरण था।”आदरणीय सीवाली भंते कहा, “यह एक महान देश है, वियतनाम के लोगों के प्रति आभारी हैं, हम उस देश के लिए शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इस प्रदर्शनी से अर्जित सभी पुण्य हम सभी के साथ साझा करते हैं।”मंगोलिया के राजदूत श्री गनबोल्ड डंबजाव ने कुछ वर्ष पहले अपने देश में पवित्र अवशेषों की यात्रा को स्मरण करते हुए कहा कि वे प्रदर्शनी के लिए बड़ी संख्या में युवा मंगोलों को आते देखकर आश्चर्यचकित थे। उन्होंने कहा कि कतार में पुरानी पीढ़ी को देखना सामान्य बात थी क्योंकि वे अपने माता-पिता के साथ बौद्ध धर्म का पालन करते थे, लेकिन पूजा के लिए आने वाले युवाओं ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0034GO8.pngमंगोलिया में पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी के दौरान आकाश में हाथी के आकार में बादलों की आकृति का बनना एक और शुभ संकेत था। उन्होंने बताया कि इसका दर्शन करने वाले सभी श्रद्धालुओं को इससे बहुत प्रसन्नता हुई।वियतनाम मिशन के उप-प्रमुख श्री त्रान थान तुंग ने कहा कि वियतनाम में अपने अनुभव के बारे में आदरणीय ने जो कुछ भी बताया उसे जानकर वे अभिभूत हो गए। उन्होंने वियतनाम के लोगों के लिए पवित्र अवशेषों को साझा करने के लिए अमूल्य समर्थन और उदारता के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया, ताकि लोग अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। उन्होंने कहा  लोगों की प्रबल इच्‍छा को देखते हुए प्रदर्शनी को 10 दिन के लिए बढ़ा दिया गया था।नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा ने कहा कि पवित्र अवशेषों से आशीर्वाद प्राप्त करने का यह एक महान अवसर है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के बीच संबंधों में भी दृढ़ता आएगी और बुद्ध की शिक्षाएं राजनयिक संबंधों को मजबूत बनाने का आधार बन सकती हैं।अपने अवलोकन साझा करते हुए वेन प्रोफेसर धम्मज्योति ने कहा कि वियतनाम एक ऐसा देश है जिसने बहुत संघर्ष किया है, बहुत सी बाधाओं का सामना किया है, फिर भी उन्होंने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बौद्ध धर्म को संरक्षित रखा है। उन्होंने कहा, “लोगों को पंक्ति में खड़ा करने के लिए किसी तरह की पुलिस या सुरक्षा नहीं थी, यह विश्वास की शक्ति थी जो स्पष्ट थी।”आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे ने कहा कि यह वैश्विक बौद्ध समुदाय को एक साथ लाने का अवसर है। दर्शन में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन बौद्ध मूल्य हम सभी को एक करते हैं। उन्‍होंने कहा कि बौद्ध धर्म ही बिखरे हुए समाज को एकजुट करते हुए उनकी पीड़ाओं को हर सकता है और भारत को धर्म के इस संदेश को पुनर्जीवित करना चाहिए।आईबीसी के एक अधिकारी वियतनाम बौद्ध संघ (वीबीएस) और अवशेषों के साथ आए भारतीय भिक्षुओं के साथ समन्वय करने के लिए निरंतर रूप से उपस्थित रहे। एक शहर से दूसरे शहर में जाने की हर गतिविधि को आईबीसी और हनोई में भारतीय दूतावास ने वीबीएस के साथ मिलकर लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सुचारू रूप से आगे बढ़ाने में सावधानीपूर्वक भूमिका निभाई।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004PUL8.jpgपवित्र अवशेषों को कल राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्‍ते की पूर्ण निगरानी में राज्य प्रमुख के पूर्ण प्रोटोकॉल के साथ वाराणसी हवाई अड्डे पर ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें सारनाथ ले जाने के पश्‍चात वहां से मूलगंध कुटी विहार वापस लाया जाएगा।अवशेषों की वियतनाम यात्रा- रिकॉर्ड 17.80 मिलियन लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह एक भावपूर्ण आध्‍यात्मिक अवसर था, जहां भी इस यात्रा का आगमन हुआ वहां प्रसन्‍नता और आशा का संचार हुआ। बौद्ध अवशेषों की सामूहिक प्रार्थनाओं के माध्‍यम से लाखों लोग एक साथ एकत्रित हुए और इससे सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से प्राचीन संबंधों के अव्यक्त संबंधों की पुष्टि हुई।

 

 

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