स्टार्टअप्स भारत में चमड़ा उद्योग के निरंतर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
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मंत्री महोदय केंद्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी), जिसके वे प्रमुख हैं, की ओर से संभावित स्टार्ट-अप्स और अभिनव उद्यमियों को आरम्भिक निवेश हेतु वित्त पोषण (सीड फंडिंग) का प्रस्ताव दिया।डॉ जितेंद्र सिंह ने मैनपुरी और आसपास के जिलों के छात्रों एवं युवाओं को आश्वासन दिया कि सीएसआईआर -सीएलआरआई (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान), कानपुर को चमड़े के स्टार्ट-अपप्स और व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, परामर्श सेवाएं, छात्रों की इंटर्नशिप, चमड़े और संबद्ध उद्योगों के सर्वेक्षण, व्यावहारिक प्रदर्शन, व्यापार परामर्श, व्यावसायिक और पहले से तैयार विशिष्ट गतिविधियों को आयोजित करने का निर्देश दिया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि योगी आदित्यनाथ के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा और कानपुर जिलों के लिए चमड़े के सामान को एक जिला एक उत्पाद (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट- ओडीओपी) के रूप में चिन्हित किया है और इन समूहों के विकास के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप भी तैयार किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश निर्यात वृद्धि का एक किया सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और उत्तर प्रदेश से चमड़े के सामानों के निर्यात को बढ़ाने में निर्यातकों का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि इससे मैनपुरी और आसपास के जिलों के उद्यमियों और युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत जूतों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, चमड़े के वस्त्रों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक, चमड़े से बने सामानों का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक और घोड़े की काठी के साजसामान (सैडलरी) तथा घोड़ों का अन्य साजसामान (हार्नेस आइटम्स) का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। उन्होंने कहा कि वैश्विक चमड़े के सामान के बाजार का आकार 2022 में 424 अरब डॉलर माना गया है और इसके 2030 तक 744 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद हैI उन्होंने आगे कहा कि भारत को चमड़े के इस वैश्विक बाजार की विशाल संभावित क्षमता का दोहन करना ही चाहिए।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केवल नवोन्मेषी सोच वाले युवा ही आरामदायक, वर्तमान में प्रचलित और आधुनिक (ट्रेंडी एंड फैंसी) चमड़े के परिधानों, जूतों और सहायक उपकरणों की बढ़ती मांग को पूरा कर सकते हैं क्योंकि अब चमड़े के उत्पादों को अक्सर प्रतिष्ठा के एक ऐसे प्रतीक (स्टेटस सिंबल) के रूप में देखा जाता है जो एक स्टाइलिश लुक प्रदान करता है।अभिनंदन कुमार, सीएलआरआई, कानपुर के प्रभारी वैज्ञानिक श्री अभिनंदन कुमार ने कानपुर चमडा संकुल (लेदर क्लस्टर) की स्थिति और चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) के क्षेत्रीय केंद्र कानपुर की गतिविधियों पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें प्रदूषण कम करने और चमड़े के निर्माण में मूल्यवर्धन के लिए सीएलआरआई के पास उपलब्ध उन विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन किया गया था जिससे उद्योग को पर्यावरण अनुपालन प्राप्त करने तथा बेहतर इकाई मूल्य प्राप्ति में मदद मिलेगी। इस प्रस्तुतीकरण में यह भी उल्लेख किया गया था कि चमड़ा और चमड़ा उत्पाद उद्योगों की सभी भौतिक और रासायनिक परीक्षण आवश्यकताओं के लिए केएलसी परिसर (कॉम्प्लेक्स), बंथर में हाल ही में अधिग्रहित प्रयोगशाला से एक परीक्षण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है जिससे इस उद्योग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है।
सीएलआरआई क्षेत्रीय केंद्र – कानपुर केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) के चार विस्तार केंद्रों में से एक है। इसकी स्थापना 1963 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में चमड़ा और चमड़ा उत्पाद उद्योगों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई थी। यह केंद्र पूरी तरह से रासायनिक, भौतिक और पर्यावरण परीक्षण प्रयोगशाला से सुसज्जित है। इस केंद्र में एक प्रायोगिक चमड़ा शोधन संयंत्र (टेनरी) है जो चमडा उद्योग को विविध प्रकार की सेवाएं प्रदान करती है।
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