नमस्कार हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 97826 56423 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन ‘शल्यकॉन 2025’ का उद्घाटन किया। – Raj News Live

Raj News Live

Latest Online Breaking News

आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन ‘शल्यकॉन 2025’ का उद्घाटन किया।

😊 Please Share This News 😊
नई दिल्ली-सुश्रुत जयंती के मौके पर, आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली में शल्य तंत्र पर आधारित तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन, शल्यकॉन 2025 का उद्घाटन किया।एआईआईए के शल्य तंत्र विभाग द्वारा राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के सहयोग से आयोजित यह राष्ट्रीय सेमिनार, एनएसए के 25वें वार्षिक सम्मेलन का एक हिस्सा था। इस कार्यक्रम में भारत तथा नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी मुल्कों के विद्वानों, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों और शल्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों समेत 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए श्री प्रतापराव जाधव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मुताबिक, आयुर्वेद में अनुसंधान को और सशक्त करने की ज़रुरत बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “अनुसंधान को बढ़ावा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। गहन वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल के ज़रिए, हमारी पारंपरिक प्रणालियों के प्रभाव को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया जा सकता है। भारत सरकार पहले ही आयुर्वेदिक चिकित्सकों को 39 शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं और 19 अतिरिक्त ऑपरेशन करने के लिए अधिकृत कर चुकी है, जिससे स्वास्थ्य सेवा के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण मज़बूत हुआ है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उपचार की गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए शल्य चिकित्सा प्रोटोकॉल का मानकीकरण ज़रुरी है।इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा, आयुष मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री सत्यजीत पॉल, राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. मनोरंजन साहू, एनएसए के सचिव प्रो. पी. हेमंत कुमार, निदेशक (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला भी उपस्थित थीं।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुर्वेद और प्रौद्योगिकी के ज़रिए नवाचार में भारत के सशक्त होते नेतृत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि सितंबर 2024 में एआईआईए और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोजित एक वैश्विक तकनीकी बैठक में, पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक तकनीकी संक्षिप्त विवरण जारी किया गया था। आयुष भी, स्वदेशी चैटबॉट, एकीकृत आयुष मास्टर एप्लिकेशन और एएचएमआईएस, आयुष ई-एलएमएस, आयुष अनुसंधान पोर्टल और नमस्ते योग ऐप जैसे 22 से अधिक डिजिटल मंचों जैसे उपायों के साथ एआई अनुप्रयोगों को आगे बढ़ा रहा है। भारत डबल्यूएचओ-आईटीयू एफजी-एआई4एच पहल में भागीदारी के ज़रिए वैश्विक एआई शासन में भी योगदान दे रहा है।

कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण:

कार्यक्रम के दौरान 13 और 14 जुलाई को लाइव सर्जिकल प्रदर्शन आयोजित किए गए, जिनमें 10 लेप्रोस्कोपिक/एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएँ और 16 एनोरेक्टल सर्जरी सफलतापूर्वक की गईं। इसके अलावा, शल्य तंत्र में मानकीकरण और नवाचार पर वैज्ञानिक सत्र, पोस्टर प्रस्तुतियाँ और विशेषज्ञ पैनल चर्चाएँ भी शामिल थे।आयोजन के अध्यक्ष, प्रो. (डॉ.) योगेश बडवे ने बताया कि एआईआईए अब रोज़ाना 2000 से अधिक रोगियों की सेवा करता है, और इसका शल्य तंत्र विभाग नियमित रूप से सामान्य, लेप्रोस्कोपिक, स्तन, एनोरेक्टल और मूत्र संबंधी सर्जरी करता है। ये विकास रोगी-केंद्रित एकीकृत देखभाल प्रदान करने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को दर्शाती है।”नवाचार, एकीकरण और प्रेरणा” विषय के साथ, शल्यकॉन 2025 आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान, सहयोग और ज्ञान के आदान प्रदान को बढ़ाएगा, जिससे एकीकृत स्वास्थ्य सेवा में भारत के नेतृत्व को बल मिलेगा।इस प्रतिष्ठित उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय सुश्रुत सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी विशिष्ट हस्तियों को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथियों के हाथों एक सम्मेलन स्मारिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया और एक पीजी सारांश भी प्रस्तुत किया गया।

एआईआईए के बारे में

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) अपनी तरह का पहला संस्थान है, जिसकी स्थापना एम्स की तर्ज पर की गई है। इसे प्रधानमंत्री ने 17 अक्टूबर 2017 को दूसरे आयुर्वेद दिवस पर नई दिल्ली में राष्ट्र को समर्पित किया था। इसका मकसद आयुर्वेद तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए एक उत्कृष्ट उत्कृष्टता केंद्र बनना और मानवता के हित के लिए आयुर्वेद के ज़रिए शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के उच्चतम मानक स्थापित करना है। यह एनएबीएच मान्यता प्राप्त तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पताल और स्नातकोत्तर प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने, रोगियों की देखभाल के लिए समग्र और एकीकृत नज़रिए वाले तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पताल के रूप में, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अपनी अलग पहचान बनाई है। अपनी स्थापना के बाद से, इसने 30 लाख से अधिक रोगियों को लाभान्वित किया है।

 

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!