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श्रीभानु प्रताप सिंह वर्मा ने चुराचांदपुर, मणिपुर में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति हब सम्मेलन की अध्यक्षता की

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केंद्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने आज मणिपुर सरकार की वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग विभाग एवं सहकारिता मंत्री श्रीमती नेमचा किपजेन और चुराचांदपुर, मणिपुर के अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति हब सम्मेलन की अध्यक्षता की। एनएसएसएच योजना और मंत्रालय की अन्य योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एमएसएमई मंत्रालय द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव में 500 से अधिक एससी-एसटी उद्यमियों की भागीदारी देखी गई। सुश्री मर्सी एपाओ, संयुक्त सचिव (एसएमई) ने मणिपुर के सभी जिलों से आए गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसने एससी-एसटी उद्यमियों को सीपीएसई, उद्योग संघों, ऋण देने वाली संस्थाओं, ट्राइफेड, एनईआरएएमएसी, जीईएम के साथ बातचीत करने के लिए एक संवाद मंच प्रदान किया।

 

इस अवसर पर श्री वर्मा ने कहा, “सरकार देश भर में उद्यमों के समग्र समावेशी विकास के लिए विभिन्न पहलों का नेतृत्व करने में सक्रिय रूप से कार्यरत है। हमारा ध्यान निर्यात, उत्पादों की गुणवत्ता, सकल घरेलू उत्पाद में योगदान और सभी को विश्व स्तरीय अवसंरचना और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्रदान करने के मामले में पूर्वोत्तर क्षेत्र को एमएसई के सन्दर्भ में एक बेंचमार्क बनाना है।” उन्होंने मणिपुर के लोगों में बहुत विश्वास दिखाया और कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमी अभिनव विचारों और व्यापार के पारस्परिक अवसरों का पता लगाएंगे तथा योजना से विभिन्न लाभ प्राप्त करेंगे।

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इस कार्यक्रम में पावर ग्रिड और भारतीय खाद्य निगम जैसे सीपीएसई की भागीदारी देखी गई, जिन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों की सहायता के लिए एक सुविधा डेस्क स्थापित किया और अपनी विक्रेता सूचीकरण प्रक्रिया तथा अनुसूचित जाति/ जनजाति एमएसई से खरीदे जाने वाले उत्पादों/सेवाओं की सूची पर आधारित एक प्रस्तुति भी दी। इस कार्यक्रम में सिडबी, एसबीआई और केनरा बैंक जैसे वित्त संस्थान भी थे, जिन्होंने एमएसएमई क्षेत्र को दी जाने वाली विभिन्न ऋण योजनाओं का विवरण दिया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले और एमएसएमई की सहायता के लिए अपनी विभिन्न योजनाओं को प्रस्तुत करने वाले अन्य सरकारी संगठन थे – केवीआईसी, एनएसटीएफडीसी, जीईएम, एनईआरएएमएसी, सिपेट और ट्राइफेड। कार्यक्रम में विभिन्न अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों के स्टॉल भी थे, जिन्होंने उद्यम पंजीकरण, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एमएसई के जेडईडी पंजीकरण की सुविधा के साथ अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया था।

समावेशी विकास के लिए, एमएसएमई मंत्रालय ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए इकोसिस्टम बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति हब योजना को लागू किया है, जो उन्हें कम से कम 4% तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक खरीद प्रक्रिया में भाग लेने में मदद करता है।

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हमारी अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के महत्व को देखते हुए, यह जरूरी है कि युवाओं के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने और 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था को साकार करने के लिए एक अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए विशेष ध्यान के साथ केंद्रित प्रयास किए जाएं।

एमएसएमई क्षेत्र का प्रोत्साहन राष्ट्र की आर्थिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार सतत विकास के लिए एमएसएमई को सशक्त बनाने और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के अनुकूल होने के लिए लगातार काम कर रही है। इस प्रकार के राज्य स्तरीय सम्मलेन, एससी/एसटी एमएसएमई को नए विचारों को शामिल करते हुए अपने क्षितिज का विस्तार करने में सहायता करते हैं, क्योंकि वे सरकार द्वारा पेश किये गए विभिन्न योजनाओं से अवगत होते हैं।

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