रक्षा मंत्री ने साझा वैश्विक समृद्धि के लिए ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विजन हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।

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अपने निवेश को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास पर अधिक ज़ोर देने का आग्रह किया ।
रक्षा मंत्री ने फुलप्रूफ सुरक्षा को एक समृद्ध राष्ट्र का सबसे मजबूत स्तंभ बताते हुए कहा कि सरकार एक आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है जो सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियार और प्रौद्योगिकियां प्रदान करता है और राष्ट्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि सदियों के विदेशी शासन और आजादी के बाद के दशकों तक आयात पर निर्भरता के बाद, सरकार और उद्योग के, विशेष रूप सेनिजी क्षेत्र के सहयोगी प्रयासों के कारण, देश पिछले कुछ साल से एक आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र का उदय देख रहा है ।
उन्होंने कहा कि “पिछले 7-8 वर्षों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, भारत एक बार फिर से अपनी नई पहचान बनाते हुए अपने पुराने गौरवको हासिल करने के लिए खड़ा हुआ है । सत्ता में आने के बाद रक्षा क्षेत्र को लेकर हमारे पास दो विकल्प थे । पहला परिस्थितियों के लिए पिछली सरकारों को दोष देना और दूसरा अभूतपूर्व विकास की ओर ले जाने वाला नया रास्ता बनाना । हमने दूसरा विकल्प चुना और समर्पण और उत्साह के साथ आगे बढ़े । अब प्रत्येक बीतते दिन के साथ, हम रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ के अपने लक्ष्य के और करीब आ रहे हैं । आज देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देते हुए आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए अन्य सभी क्षेत्रों के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है । दो डीआईसी की स्थापना सहित प्रमुख कदम उस गति में योगदान दे रहे हैं ।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा उद्योग को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में मदद करने के लिए डीआईसी की परिकल्पना की गई है, जिससे यह विश्वास व्यक्त होता है कि वे जल्द ही इस क्षेत्र की रीढ़ बन जाएंगे । यूपीडीआईसी पर उन्होंने कहा कि कॉरिडोर नोड्स (आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी, कानपुर और लखनऊ) ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र हैं, जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश से जुड़े हैं । इस कॉरिडोर में रक्षा उद्योग को एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की क्षमता है जो अनुसंधान एवंविकास और उत्पादन में शामिल किसी भी संगठन के लिए महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्री ने कहा, “देश में सत्ता के गलियारे हैं जो देश के शासन को चलाने के लिए आवश्यक हैं । जब ये गलियारे उद्योगों के काम मेंदखल देने लगते हैं तो लालफीताशाही बढ़ती है और कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ता है । इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप से मुक्त, उद्योगपतियों के लिए दो समर्पित कॉरिडोर (यूपी और तमिलनाडु) बनाए गए थे ।”
श्री राजनाथ सिंह का विचार था कि उत्तर प्रदेश में आज कानूनऔर व्यवस्था, निवेशकों के लिए पर्यावरण, बुनियादी ढांचे के विकास से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक सभी आवश्यक चीजें मौजूद हैं, जो राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यक हैं । उन्होंने रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी उद्योग हितैषी ‘एयरोस्पेस एंड डिफेंस पॉलिसी’ का विशेष उल्लेख किया । उन्होंने इसे एक औरमहत्वपूर्ण कदम बताया जो निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए अनुकूल माहौल मुहैया कराता है ।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपीडीआईसी कीस्थापना के बाद बहुत कम समय में 100 से अधिक निवेशकों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं । अब तक 30 से अधिक संगठनों को 550 हेक्टेयर से अधिक भूमि आवंटित की जा चुकी है और लगभग 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है । उन्होंने उम्मीद जताई कि ये आंकड़े और बढ़ेंगे, उम्मीद है कि यूपीडीआईसी राज्य के रक्षा उद्योग को और अधिक ऊंचाई दिलाने के लिए एक रनवे साबित होगा । श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश जल्द ही देश की अर्थव्यवस्था को गति देगा और इसका विकास इंजन बनेगा ।
उत्तर प्रदेश में अवसरों के बारे में विस्तार से बताने के अलावा, रक्षा मंत्री ने रक्षा उद्योग को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कई अन्य कदमों का ज़िक्र किया । इनमें निजी क्षेत्र कीभागीदारी को प्रोत्साहित करने के उपाय, घरेलू खरीद के लिए रक्षा के पूंजीगत व्यय का एक निश्चित हिस्सा निर्धारित करना, घरेलू वस्तुओं की खरीद के लिए रक्षा बजट के एक बड़े हिस्से का आवंटन, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना, एफडीआई सीमा में वृद्धि और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार शामिल हैं ।
श्री राजनाथ सिंह ने लगातार परिवर्तित हो रहे वैश्विक सुरक्षापरिदृश्य के बीच देश को नवीनतम तकनीकी प्रगति के साथ चलने में मदद करने के लिए निजी क्षेत्र के लिए रास्ते खोलने पर भी प्रकाश डाला । इनमें डीआरडीओ के माध्यम से शून्य शुल्क पर प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, सरकारी प्रयोगशालाओं तक पहुंच, रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का एक चौथाई उद्योग के नेतृत्व वाले अनुसंधान एवं विकास को समर्पित करना, रणनीतिक साझेदारीमॉडल की शुरुआत, जो भारतीय निजी संस्थाओं को वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं के साथ गठजोड़ करने और स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस पहल और प्रौद्योगिकी विकास कोष का शुभारंभ करने का अवसर प्रदान करता है, शामिल हैं ।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए प्रयास रंग ला रहे हैं क्योंकि भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के तहत मित्र देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर रहा है । उन्होंने कहा कि 2014 में 1,000 करोड़ रुपये से कम की तुलना में पिछले साल रक्षा निर्यात कई गुना बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये हो गया । उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा क्षेत्र अपार संभावनाओं वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है ।
इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भी सभा को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल परिवर्तन और आधुनिकीकरण के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं । उन्होंने कहा, “संयुक्तता और एकीकरण के माध्यम से परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है जिससे तीनों सेवाओं के बीच संयुक्त सैन्य संरचना और तालमेल का निर्माण होगा । नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोगात्मक नज़रिए की आवश्यकता है ।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने केंद्र सरकार की विभिन्न पहलों काउल्लेख किया जो देश में एक रक्षा पारितंत्र बनाने और सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करेगा । उन्होंने विदेशी ओईएम को भारतीय व्यवसायों के साथ साझेदारी करके भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया । उन्होंने जोर देकर कहा कि यूपी डीआईसी भारत में एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण के भविष्य को परिभाषित करेगा ।
उद्योग के नेताओं और अन्य हितधारकों ने संगोष्ठी में सक्रिय रूप से भाग लिया और रक्षा उद्योग में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने औरभारतीय रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए । यूपीडीआईसी के मुख्य नोडल अधिकारी एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (सेवानिवृत्त), यूपीडा के सीईओ श्री अरविंद कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति और उद्योग, केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी भी उपस्थित थे ।
उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट राज्य सरकार का प्रमुख निवेश शिखर सम्मेलन है जो सामूहिक रूप से व्यापार के अवसरों का पता लगाने और साझेदारी बनाने के लिए दुनिया भर के नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं, शिक्षाविदों, थिंक टैंकों और नेताओं को एक मंच पर लाता है ।

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