रक्षा मंत्री ने आपूर्ति श्रृंखला के सह-विकास, सह-उत्पादन, एकीकरण और उसे मजबूत बनाने, संयुक्त उपक्रमों की प्रतिष्ठापना, पूरे विश्व के लिये भारत में निर्माण करने के लिये वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं को आमंत्रित किया।

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श्री राजनाथ सिंह ने भारत के लिये रक्षा सेक्टर के महत्त्व को रेखांकित करते हुये कहा, “रक्षा उत्पादन से महत्त्वपूर्ण सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने और हमारे लोगों के लिये रोजगार सृजन के दो लक्ष्यों की पूर्ति होती है।” उन्होंने रक्षा औद्योगिक गलियारों में निवेश, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र सरकार की नीतियों, हितधारकों की सुरक्षा के लिये मजबूत कानून प्रणाली और व्यापार सुगमता में सुधार के सम्बंध में उत्तरप्रदेश व तमिलनाडु राज्य सरकारों द्वारा दिये जाने वाले प्रोत्साहन का भी उल्लेख किया।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आपूर्ति श्रृंखला के सह-विकास, सह-उत्पादन, एकीकरण और उसे मजबूत बनाने, संयुक्त उपक्रमों की प्रतिष्ठापना, पूरे विश्व के लिये भारत में निर्माण करने के लिये यहां अनेक अवसर मौजूद हैं।” मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भारतीय रक्षा विनिर्माण में वैश्विक निवेश की सुविधा सम्बंधी सुझाव दिये। रक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि भारत सरकार निजी उद्योग के लिये नियामक बाधाओं को दूर करने के पूरे प्रयास करेगी।
जनरल एटॉमिक्स, सफ्रान, बोइंग, एम्ब्रेसर और राफेल उन्नत रक्षा प्रणाली के सीईओ तथा वरिष्ठ प्रबंधकों ने बातचीत में हिस्सा लिया। रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने, महानिदेशक (अधिग्रहण) श्री पंकज अग्रवाल, अपर सचिव रक्षा उत्पादन श्री टी. नटराजन तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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