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मनरेगा के एक लाख मेटो की दो साल से बकाया मजदूरी का  भुगतान करने हेतु लिखा पत्र।

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महानरेगा में मजदूरों की हाज़री भरने और प्रबंधन का काम देख रहे भीनमाल-जालोर सहित प्रदेश के 1 लाख से अधिक मेटों की विभिन्न मांगों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस के युवा नेता श्रवणसिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मांग पत्र भेजा है।  कांग्रेस नेता श्रवणसिंह राठौड़ की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में मनरेगा के मेटो को दो साल से बकाया मजदूरी का भुगतान करने, मेटों की मजदूरी 231 रुपये से बढाकर 750 रुपये करने और मेट के पद लिए अनुभव को वरीयता देते हुए संविदाकर्मी का दर्जा दिए जाने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है। राठौड़ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वो इस मुद्दे पर सत्याग्रह करते हुए अनशन करेंगे। इससे पहले अखिल भारतीय मनरेगा मेट महासंघ राजस्थान के भीनमाल ब्लॉक अध्यक्ष वचनाराम मेघवाल के नेतृत्व में मेटों के एक प्रतिनिधि मंडल ने सामाजिक कार्यकर्ता श्रवणसिंह राठौड़ से मिलकर राज्य सरकार से समाधान दिलवाने में पैरोकार बनने की मांग रखी। वचनाराम मेघवाल के आग्रह श्रवणसिंह राठौड़ ने उनके सामने ही अखिल भारतीय मनरेगा मेट महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगल नायक से मोबाईल पर विस्तृत बातचीत कर पूरा मामला समझा। इसके बाद राठौड़ ने इस मामले में तुरंत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मनरेगा के मेटों की समस्या का संवेदनशीलता से समाधान किये जाने को लेकर पत्र ईमेल किया। प्रतिनिधि मंडल ने राठौड़ को उदाहरण देते हुए बताया कि जबराराम गर्ग पिछले 20 वर्ष से दासपां में मनरेगा में मेट के रूप में काम कर रहे है। इसके बावजूद जबराराम जैसे लाखों मेट दैनिक मजदूरी को लेकर आशंकित रहते है। दो साल से मजदूरी नहीं मिली  राठौड़ के मुताबिक अभी प्रदेश में 40 मजदूरों पर एक मेट लगा रखा है। नरेगा मजदूर को 231 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। वहीं मेट को भी 231 रुपये ही दिए जाने का प्रावधान है। पिछले दो साल से मेटों को मजदूरी की ये राशि भी भुगतान नहीं की जा रही है। इसकी वजह तकनीकी खामी बताई जा रही है। सरकार से तुरंत बकाया मजदूरी का भुगतान करने की राठौड ने मांग की है।  कारीगरों से मेटों को कम भुगतान  मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि अभी मनरेगा में पक्के निर्माण को लेकर मेट के निर्देशन में कारीगरों से काम कराया जा रहा है। कारीगरों को कुशल श्रमिक मानते हुए राज्य सरकार की ओर से 500 रुपये से अधिक का भुगतान दिया जा रहा है। जबकि कारीगरों का प्रबंधन का काम देखने वाले मेट को अकुशल श्रमिक मानते हुए मात्र 235 रुपये तक ही भुगतान का पात्र माना गया है। संवेदनशीलता से समाधान की मांग कांग्रेस नेता श्रवणसिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग रखी कि यूपीए चैयरमैन सोनिया गांधी ने मनमोहनसिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से आग्रह करके नरेगा कानून बनाकर न्यूनतम रोजगार की गारंटी देकर करोड़ों मजदूरों का जीवन सुधारने का अभूतपूर्व काम किया था। राठौड़ को पूरा भरोसा है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रदेश में नरेगा के मेटों की दो साल से बकाया मजदूरी का भुगतान करने, कुशल श्रमिक का दर्जा दिए जाने और संविदाकर्मियों की श्रेणी में मेटों को शामिल कर स्थाई कर देगी।

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