सिणधरा बांध ओवरफ्लो, बांडी नदी में पानी छोड़ने की पाराशर और कलेक्टर से मांग।
😊 Please Share This News 😊
|
भीनमाल।120 से अधिक गांवों में घटते जलस्तर के चलते किसानों की मांग।बिपरजाॅय तूफान से हुई तेज बारिश से भीनमाल के समीप बने पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख बांडी- सिणधरा बांध दो ही दिन में पूरा भरकर अब ओवरफ्लो होने लगा है। बांध में से नदी के हिस्से का 33 प्रतिशत पानी छोड़ने की मांग को लेकर जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर और कलेक्टर निशांत जैन से सामाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस नेता श्रवणसिंह राठौड़ ने जालोर में मुलाकात की। राठौड़ ने दोनों से बांडी नदी के बहाव क्षेत्र में आने वाले 120 गांवों में नदी का प्राकृतिक बहाव पुनः चालू करवाने के लिए नदी में बांध से पानी तत्काल छोड़ने के निर्देश जारी करवाने का आग्रह किया है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस नेता श्रवणसिंह राठौड़ ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर और कलेक्टर निशांत जैन से जालोर में मुलाकात करके इस विषय में किसानों को राहत दिलवाने की मांग उठाई । पुखराज पाराशर और कलेक्टर निशांत जैन को श्रवण राठौड़ ने बांध से पानी छोड़ने का मामला विस्तृत तरीके से समझाया। राठौड़ ने करीब आधे धंटे तक वार्ता की। जिसमें उन्होंने बताया कि बिपरजाॅय तूफान में हुई तेज बारिश की वजह से बांध पूरा भर गया है। ओवरफ्लो होने लगा है। दीवार में रिसाव होने की वजह से यह बांध अगर फुट गया तो पूरा क्षेत्र डूब जाएगा। ऐसे में सुरक्षा कारणों से भी इस बांध को तत्काल खाली करवाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अभी पानी छोड़ने से बारिश के मौसम में जमीन गीली होने की वजह से नदी में ज्यादा दूरी तक पानी आगे जा सकेगा। जिससे 120 गांवों में भूमिगत जलस्तर रिचार्ज होने की ज्यादा संभावना रहेगी। तीन प्रमुख मांगें :- मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि सिणधरा बांध से तत्काल बांडी नदी में पानी छोड़ा जाए। पानी छोड़ने से पहले सिणधरा और थूर गांव के बीच सम्पर्क रास्ते को ठीक करवाया जाए, जिससे आवागमन बाधित नहीं हो। राज्य सरकार ने बांडी सिणधरा संघर्ष समिति की मांग पर नहर की मरम्मत के लिए 8.50 करोड़ रुपये स्वीकृत किए है। इस राशि में से बांध से नहर में पानी छोड़ने का जो गेट वाला निकासी रास्ता है, उसको दुगुना चौड़ा किया जाए। जिससे नहर वाले रास्ते से पिछली बार की तरह भविष्य में भी नदी के हिस्से का 33 प्रतिशत पानी छोड़ा जा सके। पिछली बार भी सरकार ने छोड़ा था 33 प्रतिशत पानी बांडी सिणधरा संघर्ष समिति के सेवादार श्रवणसिंह राठौड़ के नेतृत्व में चले किसानों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं जन अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर के निर्देश पर कलेक्टर निशांत जैन ने दीवाली से दो दिन पहले बांध से पानी छोड़ने के आदेश जारी किए थे। पिछली बार बांध में 440 एमसीएफटी फ़ीट ही पानी था। इसके बावजूद एक महीने तक लगातार बांध से कुल स्टोरेज का 33 प्रतिशत पानी छोड़ा गया था। इस बार बांध में एक हज़ार एमसीएफटी फ़ीट पानी होने की वजह से नदी के हिस्से में 333 एमसीएफटी फ़ीट पानी आएगा। जिससे पूरे इलाके को फायदा होगा। नदी में पानी छोड़ने से ये होंगे फायदे भूजल स्तर ऊपर आएगा। खेती और पशुपालन पुनः आबाद होगा। पीने का मीठा और साफ पानी मिल जाएगा। पीएचईडी को हर साल करोड़ों रुपये खर्च करके पेयजल के लिए ट्यूबवेल नहीं खुदवाने पड़ेंगे। दूषित जल से होने वाली बीमारियों पर राज्य सरकार का करोड़ों का स्वास्थ्य बजट बचेगा। लोगों के जीवन स्तर में बदलाव आएगा। कॄषि आधारित रोजगार से युवाओं का पलायन रुकेगा। साभार :-मानकमल भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |