लोकसभा में वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 पारित।
😊 Please Share This News 😊
|
इसलिये, देश की एनडीसी, कार्बन निरपेक्षता जैसी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पतिबद्धताओं को हासिल करने, विभिन्न प्रकार की भूमि के मामले में संशयों को दूर करने और कानून की व्यवहारिकता को लेकर स्पष्टता लाने, गैर-वन भूमि में पौधारोपण को बढ़ावा देने, वनों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिये कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया और यही कारण है कि केन्द्र सरकार ने वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 को आगे बढ़ाया।
लोकसभा में पारित संशोधन में कानून का दायरा व्यापक बनाने के लिये एक प्रस्तावना को शामिल किया गया है। इसके साथ ही एक्ट का नाम बदलकर वन (संरक्षण एवं सवर्धन) अधिनियम, 1980 किया गया है ताकि इसके प्रावधानों की क्षमतायें इसके नाम में परिलक्षित हों, संशयों को दूर करने के लिये विभिन्न प्रकार की भूमि में कानून लागू होने का दायरा स्पष्ट किया गया है।
इन संशोधनों के साथ ही विधेयक में वन भूमि के उपयोग को लेकर कुछ छूट दिये जाने के प्रस्तावों को भी लोकसभा से मंजूरी दी गई है। इनमें अंतरराष्ट्रीय सीमा, वास्तविक नियंत्रण रेखा, नियंत्रण रेखा से 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी रणनीतिक परियोजनाओं को छूट शामिल है। इसके अलावा सड़कों और रेलवे लाइनों के साथ बने मकानों और प्रतिष्ठानों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिये 0.10 हेक्टेयर वन भूमि उपलब्ध कराना प्रस्तावित है, सुरक्षा संबंधी अवसंरचना के लिये 10 हेक्टेयर तक भूमि और वाम चरमपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सार्वजनिक सुविधा परियोजनाओं के लिये पांच हेक्टेयर तक भूमि देने का प्रावधान है। ये सभी छूट और रियायतें जो विधेयक में दी गई हैं उनके साथ कुछ शर्तें और परिस्थितियां जोड़ी गई हैं जैसे कि बदले में क्षतिपूर्ति वनीकरण, न्यूनीकरण योजना आदि, जैसा केन्द्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जायेगा। निजी इकाइयों को वन भूमि पट्टे पर देने के मामले में मूल कानून के मौजूदा प्रावधानों में समानता लाने के लिये प्रावधान का विस्तार सरकारी कंपनियों के लिये भी कर दिया गया है। विधेयक में कुछ नई गतिविधियों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि अग्रिम क्षेत्र में तैनात वनकर्मियों के लिये जरूरी सुविधायें, वन संरक्षण के लिये वानिकी गतिविधियों के तहत इको टूरिज्म, चिड़ियाघर और सफारी जैसी गतिविधियां चलाना। इस बात को ध्यान में रखते हुये कि ऐसी गतिविधियां अस्थायी प्रकृति की होती हैं और इनसे भूमि उपयोग में कोई वास्तविक बदलाव नहीं आता है, वन क्षेत्र में सर्वेक्षण और जांच को गैर-वानिकी गतिविधि नहीं माना जायेगा। विधेयक की धारा 6 केन्द्र सरकार को अधिकार देती है कि वह कानून के उचित क्रियान्वयन के लिये निर्देश जारी कर सकती है, इसे भी लोकसभा ने पारित कर दिया।
कानून की व्यवहारिकता के मामले में संशयों को दूर करने से प्राधिकरण द्वारा वन भूमि का गैर-वानिकी कार्यों के लिये इस्तेमाल से जुड़े प्रस्तावों के मामले में निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहतर होगी। सरकारी रिकार्ड में दर्ज ऐसी वन भूमि जिसे सक्षम प्राधिकरण के आदेश से 12.12.1996 से पहले ही गैर-वानिकी इस्तेमाल में डाल दिया गया है, उसका राज्य के साथ ही केन्द्र सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ उठाने के लिये इस्तेमाल में लाया जा सकेगा।
विधेयक में फ्रंटलाइन क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं को खडा करने जैसे वानिकी गतिविधियों को शामिल करने से वन क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। कानून में उपयुक्त प्रावधानों की जरूरत के चलते वन क्षेत्र में मूलभूत अवसंरचना का सृजन मुश्किल रहा है जिससे कि वानिकी परिचालन, पुनर्सृजन गतिविधियां, निगरानी और सुपरविजन, वन आग से बचाव जैसे उपाय किये जा सकें। इन प्रावधानों से उत्पादकता बढ़ाने के लिये वनों का बेहतर प्रबंधन का रास्ता साफ होगा। इससे इकोसिस्टम, सामान और सेवाओं का प्रवाह भी बेहतर होगा जो कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और वन संरक्षण में मददगार साबित होगा।
प्राणी उद्यान और सफारी जैसी गतिविधियों का स्वामित्व सरकार का होगा और इन्हें संरक्षित क्षेत्र के बाहर केन्द्रीय प्राणी उद्यान प्राधिकरण द्वारा अनुमति प्राप्त योजना के अनुरूप स्थापित किया जायेगा। इसी प्रकार वन क्षेत्र में स्वीकृत कार्य योजना अथवा वन्यजीव प्रबंधन योजना अथवा टाइगर संरक्षण योजना के मुताबिक इकोटूरिज्म गतिविधियां होंगी। इस प्रकार की सुविधायें, वन भूमि और वन्यजीव के संरक्षण और सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने के साथ ही स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने में सहयोग करेंगी और उन्हें विकास की मुख्यधारा के साथ जुड़ने का अवसर मिलेगा।
लोकसभा द्वारा पारित इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधन से वन संरक्षण और संवर्धन के लिये कानून की भावना अधिक स्पष्ट होगी और उसमें नयापन आयेगा। ये संशोधन वन उत्पादकता बढ़ाने, वन क्षेत्र से बाहर पौधारोपण बढ़ाने, स्थानीय समुदायों की आजीविका से जुड़ी आकांक्षाओं को व्यवस्थित करने के साथ ही नियामकीय प्रणाली को मजबूत बनायेंगे।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |