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पोमल की ऐतिहासिक पुस्तक “पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरा-दे” राजस्थान साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत।

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जालौर।वैशाख अमावस्या विक्रम संवत 1368, राष्ट्रभक्त माता क्षत्राणी हीरादे ने काली रात में मां कालका का रूप धारण कर अपने प्राणप्रिय पति का देशद्रोही आचरण जानकर उसका वध कर हिंदुस्तान के इतिहास में अपना नाम सदैव के लिए अमर कर दिया है। इस कथानक पर आधारित उपन्यासकार पुरूषोत्तम पोमल की ऐतिहासिक पुस्तक “पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरा-दे ” को राजस्थान साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित रांगेय राघव पुरस्कार वर्ष 2023-24 के लिये घोषित किया गया है।पोमल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि आज देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी संस्कृति के लिए राष्ट्रभक्ति की भावना को आत्मसात करते हुए देशद्रोही से सावधान ही नहीं अपितु उसका विध्वंस करने हेतु माता पाषाण पुत्री हीरादे से प्रेरणा लेकर सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमें सदैव तत्पर रहना होगा।  लेखक के बारे में – पुरुषोतम पोमल का जन्म ‘जालोर’ शहर में 5 जुलाई, 1955 में हुआ। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एम. कॉम. (एकाउंट) तथा एम. ए. (इतिहास) में उपाधि प्राप्त की और राजस्थान सरकार की लेखा एवं वित्त सेवा में कार्यरत रहे । वे राजस्थान उच्च न्यायपालिका, जोधपुर के मुख्यलेखाधिकारी , वित्त व लेखा के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं । पोमल ने अपने ऐतिहासिक उपन्यास ‘शाहज़ादी फ़ीरोज़ा ‘ से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई । इस उपन्यास के अनेक संस्करण तथा कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुए।गुजराती, राजस्थानी, उर्दू व असमिया भाषा के अतिरिक्त अंग्रेजी संस्करण ‘प्रिंसेज फ़ीरोज़ा, लव, पीस &वार ‘ डायमण्ड बुक, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया। इनकी नवीनतम ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुस्तक “पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरा-दे” है जिसका कथानक त्यागमयी पतिव्रता माता क्षत्राणी हीरादे है जिन्होंने राष्ट्र धर्म के लिए अपने राष्ट्रद्रोही पति बीका दहिया का वध कर दिया था। इनके दो अन्य उपन्यासों ‘ज्योत्स्ना ‘ तथा ‘यात्रा के ईश्वर ‘ने भी अपार लोकप्रियता अर्जित की है।कई अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों , नई दिल्ली (भारत), मास्को (रूस), सिडनी (आस्ट्रेलिया),दुबई (यूएई), थाईलैंड, कम्बोडिया व वियतनाम में शामिल होकर उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार में विशिष्ट योगदान दिया है और इस हेतु इन्हें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरूष्कार व सम्मान प्राप्त हुए हैं। लेखन के अलावा इनकी रूचि पटकथा, नाटक व अध्यात्म के अतिरिक्त विश्व पर्यटन में भी है। सादर प्रकाशनार्थ।

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