महामारी का स्तर सुनिश्चित हुआ।
जिससे2023 में देश में नए संक्रमण 2010 की तुलना में लगभग 44% कम थे, जबकि एड्स से संबंधित मौतों में 79% की कमी आई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एड्स के खिलाफ लड़ाई को लेकर लोगों के लिए तीन महत्वपूर्ण निर्देशों पर ज़ोर दिया। पहला, उन्होंने एचआईवी/एड्स संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतने के महत्व पर ज़ोर दिया, यह बताते हुए कि लोग न केवल संभोग के माध्यम से, बल्कि अन्य माध्यमों से भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। दूसरा, उन्होंने कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए उचित पोषण, व्यायाम और नींद सहित स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ग्राम सभाएँ, स्कूली कार्यक्रम और शैक्षिक अभियान जैसे विभिन्न पहलों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने और रूढ़िवादिता का मुकाबला करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिकारियों से अपने एड्स नियंत्रण प्रयासों से पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करने और किसी भी अंतर को दूर करने का भी आग्रह किया।श्री नड्डा ने एचआईवी पॉजिटिव लोगों के साथ मानवीय दृष्टिकोण से पेश आने के महत्व को रेखांकित किया। यह बताते हुए कि प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है, उन्होंने सभी से एचआईवी से पीड़ित लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “कुछ मान्यताओं के विपरीत, एचआईवी से ग्रस्त कोई भी व्यक्ति आज भरपूर जीवन जी सकता है और एचआईवी संक्रमण के बिना एक स्वस्थ बच्चा भी पैदा कर सकता है।”
अत्यधिक सावधानी और समर्पण के साथ ऐसी बीमारियों को संभालने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुएश्री नड्डा ने उल्लेख किया कि वे हर समय संक्रमित लोगों के संपर्क में आने के बावजूद अपना काम जारी रखते हैं और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।केंद्रीय मंत्री ने एड्स के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत द्वारा किए गए लंबे संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एक ऐसे समय से जब एड्स के लिए कोई दवा नहीं थी, अत्यधिक महंगी दवाओं से निपटने से लेकर अब दुनिया को एचआईवी दवाओं का शुद्ध आपूर्तिकर्ता बनने तक, भारत एड्स के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक लंबा सफ़र तय कर चुका है।” उन्होंने कहा कि आज भारत सबसे किफायती और प्रभावी दवाओं का उत्पादन करके और उन्हें ज़रूरतमंदों के साथ साझा करके एड्स नियंत्रण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार एड्स रोगियों को मुफ्त दवाएँ प्रदान करती है।वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, श्री नड्डा ने कहा कि 2010 के बाद से भारत में नए एचआईवी मामलों की संख्या में 44% की कमी आई है, जो वैश्विक कमी दर 39% से अधिक है। एड्स से होने वाली मौतों में भी 79% की कमी आई है।उन्होंने कहा कि भारत ने एड्स का मुकाबला करने के लिए 90-90-90 लक्ष्य अपनाया है जिसमें देश में एड्स के 90% मामलों का पता लगाना, 90% लोगों को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) से इलाज करना और 90% का वायरल लोड दबाना शामिल है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को बाद में बढ़ाकर 95-95-95 कर दिया गया, जिसमें से 81% एड्स से पीड़ित लोगों की पहचान की जा चुकी है, 88% को एआरटी दिया जा रहा है और 97% पहचाने गए लोगों का वायरल लोड दबा दिया गया है।
इस अवसर पर, श्री नड्डा ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को भी बधाई दी। इससे पहले, उन्होंने नाको द्वारा स्थापित एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया और वहां के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बातचीत की।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि समाज के सबसे निचले तबके के लोग एड्स नियंत्रण में सरकार के प्रयासों से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने कोविड -19 महामारी का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया है और एड्स सहित 2030 तक कई महामारी वाले रोगों को मिटाने के दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है।” डॉ. यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद के दिशानिर्देशों में बदलाव के साथ, नए मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी हो गई है।मध्य प्रदेश में चिकित्सा ढांचे को मजबूत करने पर जोर देते हुए डॉ. यादव ने कहा कि पहले मध्य प्रदेश में केवल पाँच मेडिकल कॉलेज थे, आज राज्य में 31 मेडिकल कॉलेज हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगले दो वर्षों में राज्य में 50 मेडिकल कॉलेज चालू हो जाएँगे।डॉ. यादव ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश का लक्ष्य 2030 के एसडीजी लक्ष्य से दो साल पहले, 2028 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करना है। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि सरकार “जियो और जीने दो” के सिद्धांत के साथ काम कर रही है, उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश आयुष्मान भारत वय वंदना योजना के साथ-साथ शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी जैसे स्वास्थ्य सूचकांको में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पृष्ठभूमि: संयुक्त राष्ट्र एचआईवी/एड्स कार्यक्रम (यूएनएड्सS) की थीम, ‘अधिकारों का मार्ग अपनाएँ’, के अनुरूप, इस विश्व एड्स दिवस 2024 ने जागरूकता और उपचार के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोणों पर ज़ोर दिया और एचआईवी/एड्स से प्रभावित लोगों के प्रति भेदभाव को खत्म करने पर बल दिया। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्लू) के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) 1992 से हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मना रहा है। यह कार्यक्रम समुदायों, युवाओं, लाभार्थियों और विभिन्न संगठनों को एक साथ लाकर, वर्ष2030 तक एचआईवी/एड्स को समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्य के उद्देश्य से चुनौतियों को दूर करने व प्रगति लाने के लिए सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।इस वर्ष के कार्यक्रम में प्रभावी गतिविधियाँ शामिल थीं, जैसे कि एक अभिनव प्रदर्शनी जिसमें नाको द्वारा अपनाए गए डिजिटल ईकोसिस्टम, सामुदायिक भागीदारी, अभियान-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से प्राप्त उपलब्धियों और लाभार्थियों द्वारा बनाई गई विभिन्न हस्तनिर्मित वस्तुओं जैसे प्रमुख कार्यक्रम घटकों का प्रदर्शन किया गया।इस कार्यक्रम में नाको के थीम गीत का शुभारंभ भी शामिल था, जिसे इसके मूल गायकों – देव नेगी, मोको कोजा और एग्सी द्वारा एक लाइव प्रदर्शन के माध्यम से जीवंत किया गया। यह गीत उम्मीद, आशावाद और एकता कोबढ़ाने का संदेश देता है। यह एक बेहतर दुनिया बनाने की दिशा में सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करने वाली दुनिया की कल्पना करता है, जिसमें सहानुभूति, समानता और लचीलापन के मौलिक मूल्यों को दर्शाया गया है। गीत का उद्देश्य व्यक्तियों को एक साथ आने और भविष्य के लिए काम करने के लिए प्रेरित करना है जहाँ हर कोई बिना किसी डर या भेदभाव के जी सके, जो विश्व एड्स दिवस की थीम को प्रतिध्वनित करता है।इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के दो लाभार्थियों को सम्मानित किया, जो एचआईवी/एड्स से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत कथाएं साझा कीं, इस बीमारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में उनके द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति को दिखाया। उनकी कहानियों ने उपचार, समर्थन और जागरूकता तक पहुँच की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो उनके लचीलेपन और सशक्तिकरण की कुंजी रही है।
इस कार्यक्रम में निम्नलिखित दस्तावेजों की रिलीज़ और लांच देखने को मिला:
I. संकलक छठा संस्करण
II. भारत एचआईवी अनुमान 2023 – तकनीकी रिपोर्ट
III. कॉफ़ी टेबल बुक (सघन आईईसी अभियान)
IV. रोकथाम प्रगति अप़डेट 2023-2024 (चौथा संस्करण)
V. अनुसंधान संकलन खंड II
इस कार्यक्रम में नीति निर्माता, सरकार, नागरिक समाज, समुदायों, युवाओं और विकास भागीदारों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारक एक साथ आए, जिसे देश भर में उपलब्ध लाइव स्ट्रीमिंग के साथ व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया ताकि स्वास्थ्य सेवा में समानता को आगे बढ़ाने और महामारी के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करने के प्रयासों को एकजुट किया जा सके।
विश्व एड्स दिवस 2024 के लिए जारी किए गए दस्तावेजों का सार:
I. संकलक छठा संस्करण: “संकलक” राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम की साक्ष्य-आधारित प्रमुख रिपोर्ट है। आज जारी किया गया संकलक का छठा संस्करण वर्ष 2023-2024 में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी एप्रोच की स्थिति और प्रगति का विवरण देता है। यह दस्तावेज़ रोकथाम-पता लगाने-उपचार डोमेन में कार्यक्रम के पहलुओं का डेटा अवलोकन प्रदान करता है और उन विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है जिन्हें भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है।
II. भारत एचआईवी अनुमान 2023 – तकनीकी रिपोर्ट: कार्यक्रम के तहत वैश्विक रूप से अनुशंसित सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके और कठोर वैज्ञानिक तरीकों का पालन करके सालाना एचआईवी लोड का अनुमान लगाया जाता है। एचआईवी अनुमान 2023 भारत में एचआईवी महामारी के स्तर और प्रवृत्ति के अपडेटेड साक्ष्य प्रदान करता है, एचआईवी प्रसार, घटना, एड्स से संबंधित मृत्यु दर और एचआईवी के सीधए संक्रमण के उन्मूलन के प्रमुख मापदंडों पर। यह रिपोर्ट नवीनतम दौर के ‘एचआईवी अनुमान 2023’की विधियां और निष्कर्ष प्रस्तुत करती है।
III. कॉफ़ी टेबल बुक (सघन आईईसी अभियान): सघन आईईसी अभियान (आईआईसी) नाको और राज्य एड्स नियंत्रण समितियों (एसएसीएस) द्वारा देश भर में लागू की गई एक पहल है। 12 अगस्त 2024 को, अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के साथ शुरू किए गए इसअभियान के प्राथमिक लक्ष्य आम जनसंख्या में एचआईवी और एसटीआई के बारे में ज्ञान और समझ बढ़ाना, सुरक्षित प्रथाओं को बढ़ावा देना, कलंक और भेदभाव को कम करना और एचआईवी/एसटीआई सेवाओं की मांग पैदा करना था।
आईआईसी में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल थीं, जैसे कि ग्राम स्तरीय बैठकें, लोक प्रदर्शन, स्कूल आउटरीच कार्यक्रम, कॉलेज जागरूकता पहल, सोशल मीडिया जुड़ाव, झुग्गी बस्तियों में हस्तक्षेप और घर-घर जाकर अभियान। इस व्यापक अभियान को व्यापक प्रचार मिला है और इसने स्वास्थ्य प्रणाली, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पंचायत सदस्यों और युवाओं को जागरूकता बढ़ाने और एचआईवी/एड्स से जुड़े कलंक को कम करने में सफलतापूर्वक शामिल किया है। इसके अतिरिक्त, अभियान में राज्य के नेताओं मुख्यमंत्रियों, स्वास्थ्य मंत्रियों, उल्लेखनीय गणमान्य व्यक्तियों और सोशल इंफ्ल्यूंसर्स शामिल रहे हैं। यह कॉफ़ी टेबल बुक सघन आईईसी अभियान के तहत की गई प्रमुख उपलब्धियों और गतिविधियों को सामने लाने और रिकॉर्ड करने का लक्ष्य रखती है।
IV. रोकथाम प्रगति अपडेट2023-2024 (चौथा संस्करण): रोकथाम प्रगति अपडेट 2023-24 में, नाको का लक्ष्य प्रगति को अपडेट करना, विश्लेषण करना और एनएसीपी चरण V के तहत 2023-24 के दौरान जेल की आबादी, ब्रिज आबादी और अन्य जोखिम और कमजोर आबादी सहित एचआरजी को प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण रोकथाम गतिविधियों और सेवाओं पर प्रसार करना है।
V. अनुसंधान संकलन खंड II: राज्य विशेष के अध्ययनों से एकत्रित जानकारी और साक्ष्य को समेकित करने के लिए, नाको अनुसंधान संकलन का खंड II जारी कर रहा है, जिसमें प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशें शामिल हैं। अनुसंधान संकलन खंड II का उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्यों द्वारा किए गए अध्ययनों से उत्पन्न साक्ष्य को वैज्ञानिक समुदाय, नीति निर्माताओं, कार्यक्रम प्रबंधकों, समुदायों, कमजोर और हाशिए के समूहों सहित प्रमुख हितधारकों के साथ साझा करना है। इसमें 2022-23 में किए गए अध्ययनों पर आधारित 65 सारांशों से अंतर्दृष्टि और सिफारिशें शामिल हैं।मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला और श्री जगदीश देवड़ा; मध्य प्रदेश के जल संसाधन कैबिनेट मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट; लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल; मध्य प्रदेश से सांसद (लोकसभा) श्री विष्णु दत्त शर्मा और श्री शंकर लालवानी; इंदौर नगर निगम के महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव; केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्या सलिल श्रीवास्तव; केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव श्रीमती हेकाली जिमोमी; भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको एच. ऑफरिन और अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।