राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांग होना किसी भी तरह की कमी नहीं है।यह एक विशेष स्थिति है। दिव्यांगजनों को समानुभूति की जरूरत है, सहानुभूति की नहीं, संवेदनशीलता की जरूरत है, दया की नहीं, उन्हें स्वाभाविक स्नेह की जरूरत है, विशेष ध्यान की नहीं।
समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिव्यांगजन समाज के अन्य सदस्यों के साथ समानता, गरिमा और सम्मान का अनुभव करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह काम करने का अवसर दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और सार्थक जीवन जीने की भावना पैदा करता है। इस प्रकार, रोजगार, उद्यम और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।