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बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

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नई दिल्ली -इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।सरकार ऑनलाइन गेमिंग से होने वाले खतरों और लत जैसे संभावित नुकसानों से अवगत है। भारत सरकार की नीतियों का उद्देश्य अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह इंटरनेट सुनिश्चित करना है।ऑनलाइन गेम की लत जैसी विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चिंताओं को दूर करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने संबंधित हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद, आईटी अधिनियम के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (“आईटी नियम, 2021”) को अधिसूचित किया है। आईटी नियम, 2021 ने सोशल मीडिया मध्यस्थों सहित विभिन्न मध्यस्थों पर उस सूचना के संबंध में विशिष्ट सावधानी बरतने के दायित्व डाले हैं, जिसे प्लेटफ़ॉर्म पर होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, प्रकाशित, प्रसारित, संग्रहीत या साझा नहीं किया जाना है। मध्यस्थों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी ऐसी सूचना को होस्ट, संग्रहीत या प्रकाशित न करें जो वर्तमान में लागू किसी भी कानून का उल्लंघन करती हो। मध्यस्थों को अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है, जिसमें आईटी नियम, 2021 के तहत वर्गीकृत गैरकानूनी सूचना को हटाने की दिशा में उनकी त्वरित कार्रवाई या किसी भी ऐसी सूचना के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शामिल है, जो अन्य बातों के अलावा, बच्चों के लिए हानिकारक है या जो मनी लॉन्ड्रिंग या जुए से संबंधित या प्रोत्साहित करती है।इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2021 को ऑनलाइन गेमिंग के नुकसानों पर काबू पाने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसके बाद, शिक्षा मंत्रालय ने 10 दिसंबर, 2021 को बच्चों के सुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग पर अभिभावकों और शिक्षकों को एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में संकेत दिया गया है कि ऑनलाइन गेम खेलने से गंभीर गेमिंग की लत लग जाती है जिसे गेमिंग डिसऑर्डर माना जाता है। इसने आगे चेतावनी दी है कि बिना किसी प्रतिबंध और आत्म-सीमा के ऑनलाइन गेम खेलने से कई खिलाड़ी आदी हो जाते हैं और अंततः गेमिंग डिसऑर्डर का निदान किया जाता है। अभिभावकों और शिक्षकों को एडवाइजरी को व्यापक रूप से प्रसारित करने और बच्चों को मानसिक और शारीरिक तनाव से जुड़े सभी ऑनलाइन गेमिंग नुकसानों पर काबू पाने में प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें शिक्षित करने की सिफारिश की गई है।इसके अतिरिक्त, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (“एमआईबी”) ने 4 दिसंबर, 2020 को सभी निजी सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों को ऑनलाइन गेम्स, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि पर विज्ञापन’ के बारे में एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें सभी प्रसारकों को सलाह दी गई है कि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए और टेलीविजन पर प्रसारित विज्ञापनों में भी उन्हीं का पालन किया जाए। दिशा-निर्देशों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
  1. किसी भी गेमिंग विज्ञापन में 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को नहीं दिखाया जाना चाहिए।
  2. ऐसे प्रत्येक गेमिंग विज्ञापन में प्रिंट/स्टेटिक तथा ऑडियो/वीडियो फॉर्म में ASCI कोड के अनुरूप डिस्कलेमर होना चाहिए, जिसमें यह दर्शाया गया हो कि इस गेम में वित्तीय जोखिम शामिल है तथा यह व्यसनकारी हो सकता है।
  3. विज्ञापनों में गेम को वैकल्पिक रोजगार के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।
  4. उन्हें यह भी नहीं दर्शाना चाहिए कि गेमिंग गतिविधि करने वाला व्यक्ति किसी भी तरह से दूसरों की तुलना में अधिक सफल है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 21 मार्च, 2024 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित मीडिया को एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म और/या इन प्लेटफॉर्म को छद्म तरीके से दर्शाने वाले किसी भी ऐसे उत्पाद/सेवा के विज्ञापनों को प्रकाशित या प्रसारित करने से परहेज करने को कहा गया है। ऑनलाइन विज्ञापन बिचौलियों को भी सलाह दी गई है कि वे ऐसे विज्ञापनों को भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर न दिखाएं।

गृह मंत्रालय (“एमएचए”) ने साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों (“एलईए”) के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (“आई4सी”) की स्थापना की है। एमएचए ने सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने में जनता को सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) भी लॉन्च किया है।

इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं को कानून के प्रावधानों के अनुसार आगे की कार्यवाही के लिए संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की कानून प्रवर्तन एजेंसी को भेजा जाता है। पोर्टल में महिलाओं/बच्चों से संबंधित अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए अलग-अलग तंत्र हैं।ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।

 

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