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दावोस में भारत का दबदबा: केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने निर्यात आधारित विकास और समावेशी विकास पर प्रकाश डाला।

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दावोस– केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच में वैश्विक दिग्गजों और उद्योग प्रमुखों को संबोधित करते हुए समावेशी विकास के बारे में भारत के दृष्टिकोण और इसकी उल्लेखनीय विकास गाथा प्रस्तुत की।

आर्थिक विकास के प्रति संतुलित दृष्टिकोण

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने भारत द्वारा आर्थिक विकास के लिए अपनाए गए संतुलित दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जिसमें विनिर्माण और सेवा दोनों ही राष्ट्रों के विकास को गति दे रहे हैं। श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “यह विनिर्माण या सेवा नहीं हो सकता; यह विनिर्माण और सेवा दोनों ही क्षेत्र होने चाहिए क्योंकि ये दोनों ही क्षेत्र भारत की आर्थिक प्रगति के अभिन्न अंग हैं।” उन्होंने सतत और समावेशी विकास के लिए दोनों के बीच आवश्यक तालमेल को चिन्हित  किया।

निर्यात-आधारित विकास रणनीति

उन्होंने भारत के केवल आयात के विकल्प पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” दृष्टिकोण को अपनाने तक के बदलाव के बारे में बताया। अब घरेलू स्तर पर इस्तेमाल किए जाने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में निर्मित होते हैं, इसलिए विकास की रणनीति फार्मास्यूटिकल, रसायन और परिधान जैसे क्षेत्रों में निर्यात-आधारित विकास की ओर स्थानांतरित हो गई है।भारत के भविष्य को आकार देने, नवाचार को बढ़ावा देने और अवसर पैदा करने में सेवा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की प्रमुख भूमिका को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय मंत्री ने एआई में प्रतिभा पूल को प्रशिक्षित करने पर विशेष जोर देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।                                                  भारत: सेमीकंडक्टर के इस्तेमाल के मामले में वैश्विक केंद्र

एआई के बारे में उन्होंने भारत की क्षमता पर जोर दिया कि वह “सेमीकंडक्टर के इस्तेमाल के मामले में वैश्विक केंद्र” बन सकता है। इससे वैश्विक स्तर के उद्योगों के लिए अभिनव अनुप्रयोग तैयार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एआई मॉडल तेजी से कमोडिटीकृत होते जा रहे हैं। ऐसे में वैश्विक उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने वाले उपयोग के मामलों, अनुप्रयोगों और समाधानों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। श्री वैष्णव ने वैश्विक स्तर पर एआई के भविष्य को आकार देने की भारत की क्षमता को चिन्हित करते हुए कहा, “विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत में एआई सेवाओं में दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है, जैसा कि उसने आईटी सेवा क्षेत्र में सफलतापूर्वक किया है।”

एआई कौशल और नवाचार पर जोर

श्री अश्विनी वैष्णव ने उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए भारत के कार्यबल को तैयार करने के लिए कौशल पर सरकार के फोकस की ओर ध्यान दिलाया। श्री वैष्णव ने कहा, “हमने कम से कम 1 मिलियन लोगों को एआई उपकरण और कौशल से लैस करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिससे वे दुनिया की जरूरतों के हिसाब से सेमीकंडक्टर के उपयोग के साथ-साथ उसका एप्लिकेशन तैयार कर सकें।”

उन्होंने अन्य क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर की गई ऐसी पहलों पर प्रकाश डाला, जैसे कि दूरसंचार उद्योग के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए 100 विश्वविद्यालयों में 5जी प्रयोगशालाएं स्थापित करना और सेमीकंडक्टर डिजाइन में छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए 240 विश्वविद्यालयों में उन्नत ईडीए उपकरण प्रदान करना। उद्योग की आवश्यकताओं और पाठ्यक्रम के बीच ताल-मेल बिठाकर, सरकार मूल्य श्रृंखला के हर स्तर पर एक कुशल कार्यबल सुनिश्चित कर रही है, जिसके परिणाम पहले से ही सभी उद्योगों में दिखाई दे रहे हैं।

सेमीकंडक्टर और एआई नेतृत्व

श्री वैष्णव ने सेमीकंडक्टर और एआई क्षेत्रों में भारत की उन्नति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “अधिकांश सेमीकंडक्टर उद्योग जगत के दिग्गजों का आज मानना ​​है कि भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर के लिए शीर्ष तीन गंतव्यों में शामिल हो जाएगा।”

भारत एक वैश्विक विनिर्माण और प्रतिभा केंद्र

श्री वैष्णव ने इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक कंपनियां भारत की ओर क्यों तेजी से आकर्षित हो रही हैं, देश के “अद्वितीय लाभ” पर प्रकाश डाला, जो विश्वास, अपार प्रतिभा और असाधारण डिजाइन क्षमताओं में निहित है। उन्होंने वैश्विक विश्वास का माहौल बनाने, कंपनियों को न केवल आपूर्ति श्रृंखलाओं बल्कि मूल्य श्रृंखलाओं को भी भारत में स्थानांतरित करने के लिए आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, “उन्नत डिजाइनों पर काम कर रहे लगभग 2,000 वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के साथ, भारत वैश्विक विनिर्माण में एक प्रमुख भागीदार बनने के लिए तैयार है।”

 

 

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