कानूनों का उद्देश्य नागरिकों की जगह अंग्रेज़ों के शासन की सुरक्षा करना था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बनाए गए तीनों नए कानून भारतीयों द्वारा, भारतीय संसद में और भारतीयों को न्याय और सुरक्षा देने के लिए लाए गए हैं।
श्री शाह ने कहा कि लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे देश के सामने आग्रह रखा था कि हमारे प्रशासन में से गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त कर नए भारत की सोच को स्थापित करना चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत के 140 करोड़ लोगों, उनके सम्मान और उन्हें संविधानप्रदत्त अधिकारों की रक्षा करने वाली हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूर्णतया भारतीय बन गई है। उन्होंने कहा कि इसमें दंड की कोई जगह नहीं है बल्कि त्वरित न्याय मिलेगा। इसी प्रकार, किसी भी FIR में 3 साल में सुप्रीम कोर्ट तक न्याय मिलेगा और तारीख पर तारीख से निजात मिलेगी। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के 77 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश की जनता को ये अधिकार दिए हैं। उन्होंने कहा कि नए कानून नागरिकों, उनकी संपत्ति, सम्मान और उनके संविधानप्रदत्त अधिकारों की रक्षा करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों की सबसे बड़ी विशेषता है कि इनकी आत्मा भारतीय और उद्देश्य भारत के नागरिकों को न्याय दिलाना है।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश के हर राज्य और संघशासित प्रदेश में अलग-अलग चरणों में इन कानूनों पर अमल हो रहा है और 3 साल में इन कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बन जाएगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में तकनीक का समावेश और व्याख्या इस प्रकार की गई है कि भविष्य किसी भी नवीनतम तकनीक के आने पर भी इनकी व्याख्या को बदलने की ज़रूरत नहीं होगी। गृह मंत्री ने कहा कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में ये बदलाव 140 करोड़ लोगों के लिए हो रहा है और ये दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म बनेगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों को बनाने के लिए अगस्त, 2019 से प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने लगातार 160 से अधिक बैठकें कीं। इसके अलावा राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों, प्रशासकों, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के प्रमुख न्यायाधीशों, बार काउंसिल, बार एसोसिएशन. विधि विश्वविद्यालयों, संसद सदस्यों और देश के सभी आईपीएस अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। श्री शाह ने कहा कि इन 4 साल में दुनियाभर की आधुनिकतम तकनीक और प्रावधानों का भी अनेक स्तरों पर अध्य्यन किया गया है। इन कानूनों को बनाने के लिए लगभग 43 देशों के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का अध्ययन किया गया।
श्री अमित शाह ने कहा कि तीन नए कानूनों पर अमल के नोटिफिकेशन से लेकर अब तक लगभग 11,34,698 अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने कहा कि तकनीक के साथ-साथ इन कानूनों में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) को भी अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही, इन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के लिए एक अलग अध्याय जोड़ा गया है और पहली बार आतंकवाद और संगठित अपराध की व्याख्या की गई है। गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में FIR दर्ज कराने वाले हर नागरिक को 90 दिन में पुलिस द्वारा प्रगति रिपोर्ट देना अनिवार्य किया गया है। साथ ही E-FIR और Zero FIR दर्ज कराने के लिए अब पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि Inter-Operable Criminal Justice System (ICJS) के माध्यम से चंडीगढ़ में पुलिस, न्यायपालिका, फॉरेंसिक, प्रॉसीक्यूशन और जेल के अंदर एक ई-वार्ता की सुविधा शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि भगोड़े अपराधियों को भी अब Trial In Absentia के माध्यम से दंडित किया जा सकेगा। श्री शाह ने कहा कि इन कानूनों को आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में भाषिणी एप्प के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए डायरेक्टर आफ प्रॉसीक्यूशन के पद का सृजन किया गया है। उन्होंने कहा कि दशकों से चले आ रहे राजद्रोह के प्रावधान की जगह अब देशद्रोह ने ले ली है।श्री अमित शाह ने कहा कि नए कानूनों के लागू होने के 4 माह के अंदर अब तक लगभग 11 लाख से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं और इनमें से 9500 केसों में जजमेंट भी आ गया है। उन्होंने कहा कि इनकी दोषसिद्धि की दर 85% से ज्यादा है, जो दोषसिद्धि की वर्तमान दर 58% से अधिक है। उन्होंने कहा कि यही बताता है कि नए कानूनों पर पूरी तरह अमल होने के बाद कम समय में न्याय मिलेगा, दोषसिद्धि दर ज्यादा होगी जिससे अपराध प्रतिशत में भी गिरावट आएगी।