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उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने ग्वालियर में जीएसआई भूविज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन फी़ता काटकर और स्मृति-पट्टिका का अनावरण करके किया।

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ग्वालियर-भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज मध्य प्रदेश के ग्वालियर में विक्टोरिया मार्केट बिल्डिंग में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के एक अत्याधुनिक भूविज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन फीता काटकर और एक स्मृति-पट्टिका का अनावरण करके किया। ये एक उल्लेखनीय समारोह था, जिसमें परंपरा की भव्यता और आधुनिक नवाचार की अद्भुतता को सुंदरता से मिलाया गया था।इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, केंद्रीय संचार और उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, कोयला और खान राज्य मंत्री श्री सतीश चंद्र दुबे, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के सांसद श्री भरत सिंह कुशवाहा और जीएसआई के महानिदेशक श्री असित साहा मौजूद थे।ग्वालियर भूविज्ञान संग्रहालय पृथ्वी की कहानी के चमत्कारों के प्रवेश द्वार के रूप में है – ज्ञान अर्जित करने की एक बहुत बड़ी जगह है, जहाँ विज्ञान और कला जिज्ञासा को प्रेरित करने के लिए मिलते हैं। इसमें दो असाधारण दीर्घाएँ हैं, जो हमारे ग्रह के रहस्यों और समय के माध्यम से जीवन की यात्रा के इतिहास की झलक पेश करती हैं।गैलरी I, जिसका शीर्षक है

प्लेनेट अर्थ: विविधता में इसकी विशिष्टता, सात खंडों में पृथ्वी के चमत्कारों को प्रदर्शित करती है, जिसमें ज्वालामुखी, उल्कापिंड और चुंबकीय क्षेत्र जैसी परिघटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। अत्याधुनिक मल्टीमीडिया डिस्प्ले, इंटरेक्टिव मॉडल, डिजिटल स्टोरीबोर्ड और दुर्लभ भूवैज्ञानिक नमूनों के साथ यह गैलरी एक जीवंत मंच में बदल जाती है, जहाँ विज्ञान की दुनिया जीवंत होती है। इसमें अंटार्कटिक चट्टानें, दुर्लभ रत्न, जापान की ज्वालामुखीय चट्टानें, हिमालयी जीवाश्म, डेक्कन ट्रैप जिओलाइट्स, डाइमेल्शनल स्टोन्स और डायनासोर के अंडे सहित असाधारण खजाने हैं, जो इसे बुद्धि और कल्पना दोनों के लिए एक समृद्ध और बहुत अच्छा अनुभव प्रदान करने वाली जगह बना देते हैं।

गैलरी I, जिसका शीर्षक है प्लेनेट अर्थ: विविधता में इसकी विशिष्टता, सात खंडों में पृथ्वी के चमत्कारों को प्रदर्शित करती है, जिसमें ज्वालामुखी, उल्कापिंड और चुंबकीय क्षेत्र जैसी परिघटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। अत्याधुनिक मल्टीमीडिया डिस्प्ले, इंटरेक्टिव मॉडल, डिजिटल स्टोरीबोर्ड और दुर्लभ भूवैज्ञानिक नमूनों के साथ यह गैलरी एक जीवंत मंच में बदल जाती है, जहाँ विज्ञान की दुनिया जीवंत होती है। इसमें अंटार्कटिक चट्टानें, दुर्लभ रत्न, जापान की ज्वालामुखीय चट्टानें, हिमालयी जीवाश्म, डेक्कन ट्रैप जिओलाइट्स, डाइमेल्शनल स्टोन्स और डायनासोर के अंडे सहित असाधारण खजाने हैं, जो इसे बुद्धि और कल्पना दोनों के लिए एक समृद्ध और बहुत अच्छा अनुभव प्रदान करने वाली जगह बना देते हैं।गैलरी II, जिसका शीर्षक है पृथ्वी पर जीवन का विकास, जीवन की महाकाव्य कहानी को आगे बढ़ाती है, इसकी उत्पत्ति का होमो सेपियन्स के उदय से पता लगाती है। सात सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए खण्डों के माध्यम से आगंतुक प्राचीन इको सिस्टम, विकास की प्रक्रिया और मैस इक्सटिंक्शन इवेंट का पता लगाते हैं। जीवाश्म और संग्रहालय में प्रदर्शित की जाने वाली वस्तुएं वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा देती हैं, हमारे अतीत की एक गहरी समझ पेश करती हैं और भविष्य के लिए एक दृष्टि प्रदान करती हैं।उपराष्ट्रपति ने गणमान्य व्यक्तियों के साथ दोनों दीर्घाओं का दौरा किया और जीएसआई के विविध प्रदर्शनों और भूविज्ञान के सुंदर प्रदर्शन की सराहना की तथा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के प्रयासों की प्रशंसा की, जो हमारे देश की भूवैज्ञानिक संपदा की खोज और समझने तथा महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करने, सतत संसाधन प्रबंधन का समर्थन करने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने में सबसे आगे रहा है। उन्होंने इस संग्रहालय को जीएसआई की अटूट प्रतिबद्धता और विशेषज्ञता का एक शानदार उदाहरण बताया।कोयला और खान राज्य मंत्री श्री सतीश चंद्र दुबे ने इस मौके पर भारत की भूवैज्ञानिक विरासत के समारोह में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए इस शानदार संग्रहालय का पहला टिकट जारी किया।मंत्री महोदय ने बडौदा स्थित एम.एस. विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्री आर.वी. कारंथ को रत्न गैलरी में उनके अमूल्य योगदान और जीएसआई के साथ रत्नों के अपने व्यक्तिगत संग्रह को उदारतापूर्वक साझा करने के लिए भी सम्मानित किया।

जीएसआई के महानिदेशक श्री असित साहा ने सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसआई भूविज्ञान संग्रहालय शोधकर्ताओं, शिक्षकों और भूविज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक आवश्यक संसाधन बन जाएगा, जो आने वाले दिनों में पृथ्वी की प्रक्रियाओं और सतत विकास के लिए उनकी प्रासंगिकता की गहरी समझ को बढ़ावा देगा।

 

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