प्राधिकरण(एफएसएसएआई), भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी), कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण
(एपीईडीए) जैसी प्रमुख नियामक संस्थाओं और यूएसएफडीए और ईयू विनियमों जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की ज़रुरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
खट्टे फल, हरी मटर, फूलगोभी, गाजर (ताजा और जमे हुए दोनों), दूध और दूध से बने उत्पाद, बासमती चावल, गेहूं, बाजरा और ज्वार जैसे मोटे अनाज, सरसों और सूरजमुखी के तिलहन और फार्म में उत्पादित झींगा जैसे क्षेत्रों के किसान और उत्पादकों को इन अत्याधुनिक सुविधाओं से काफी लाभ मिलेगा। ये प्रयोगशालाएँ वैश्विक मानकों के पालन को सुनिश्चित करने, निर्यात को समर्थन देने और खाद्य उत्पादों की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है और खासकर कुशल तकनीकी कर्मियों के लिए रोजगार पैदा होता है।
बठिंडा में शुरू की गई प्रयोगशाला में कीटनाशक अवशेषों, भारी धातुओं, माइक्रोबायोलॉजिकल संदूषकों और अन्य की जांच के लिए जीसी-एमएस/एमएस, आईसीपी-ओईएस, एचपीएलसी और यूवी स्पेक्ट्रोफोटोमीटर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। 253.12 लाख रुपए का कुल परियोजना आवंटन है और 191.259 लाख रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इस समर्थन के साथ यह सुविधा खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, किसानों और खाद्य व्यवसायों को खाद्य उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
पंजाब में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताते हुए रवनीत सिंह ने बताया कि मंत्रालय ने कुल 553 करोड़ रुपए की 24 कोल्ड चेन परियोजनाओं, 70 करोड़ रुपए की 3 कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर परियोजनाओं, 432 करोड़ रुपए के निवेश से 16 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और 48 करोड़ रुपए की 10 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी है। पीएमकेएसवाई योजना के तहत पंजाब में 1557 करोड़ रुपए की 61 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 419 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है।इसके अलावा, पंजाब में छह कारखानों ने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कुल 126.31 करोड़ रुपए का निवेश किया है। पंजाब में 2,500 से अधिक सूक्ष्म उद्यमियों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म उद्यम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना के तहत सब्सिडी मिली है, और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के 1,296 सदस्यों को 3.99 करोड़ रुपए की बीज पूंजी की मंजूरी मिली है। बठिंडा और मनसा में, शहद और दूध आधारित उत्पादों को “एक जिला, एक उत्पाद” पहल के तहत प्रमुख उत्पादों के रूप में पहचाना जाता है।बठिंडा में 142.3 करोड़ रुपये के 483 ऋण वितरित किए गए, जबकि मनसा में 72.15 करोड़ रुपये के 253 ऋण स्वीकृत किए गए। इसके अतिरिक्त, पीएमएफएमई योजना के तहत बठिंडा और मनसा में स्वयं सहायता समूहों को क्रमशः 75 लाख रुपये और 18 लाख रुपये की प्रारंभिक पूंजी निधि प्राप्त हुई।रवनीत सिंह ने पीएमएफएमई लाभार्थियों द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया, जिसमें उनके उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में महाराजा रणजीत सिंह तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संदीप कंसल, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रणजीत सिंह, पंजाब एग्रो के जीएम श्री रजनीश तुली, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से श्री जितेंद्र डोंगरे, केसीसीआई से श्री अमित जोशी, भाजपा बठिंडा के जिला अध्यक्ष श्री सरूप चंद सिंगला, श्रीमती परमपाल कौर और एस. दयाल सोढ़ी शामिल थे।